विधायक ने मेरी बेटी से रेप किया।
आवाज उठाई तो 4 लोग मारे गए।
मैंने अब तक किसी की तेरहवीं नहीं की।
“आँसू न आये तो कहना” :- आशा सिंह

तब हमारे इलाके में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का राज चलता था । उसके सामने किसी की बोलने की हिम्मत नहीं होती थी । पुलिस-प्रशासन हर जगह उसका दबदबा था । एक दिन उसने मेरी बेटी को घर पर बुलाकर रेप किया । फिर धमकी दी कि जबान खोली तो परिवार खत्म कर दूँगा । बेटी डर गई, किसी से कुछ कह नहीं पाई । तब बेटी की उम्र तकरीबन 16 साल रही होगी ।
मुझे आज भी याद है । रात के करीब 8 बज रहे होंगे । वह चूल्हे के पास बैठी बर्तन धो रही थी । एकदम खामोश सी थी, मुझे थोड़ा अजीब लगा । मैंने उससे पूछा कि कुछ हुआ है क्या ? बार-बार पूछने पर भी वह कुछ नहीं बोली । कुछ दिनों तक वह ऐसे ही गुमसुम रही ।
एक दिन हमारे घर का हैंडपंप खराब हो गया । बड़ी बेटी घर से थोड़ी दूर पानी भरने गई । तभी वहाँ एक गाड़ी पहुँची और 5 लोगों ने मिलकर मेरी बेटी को जबरन गाड़ी में खींच लिया । हम लोग इधर-उधर बेटी को ढूँढते रहे । हर किसी से बेटी के लिए गुहार लगाते रहे । फिर गाँव के लोगों ने देवर को बताया कि उसे कुलदीप सेंगर के लोग ले गए हैं । इसके बाद हम रिपोर्ट लिखवाने थाने पहुँचे । करीब एक हफ्ते बाद मेरी बेटी को बरामद किया गया ।
8 दिनों तक वो महिला थाने में रही । इसके बाद वो अपनी चाची यहाँ दिल्ली चली गई ।
दिल्ली जाने के बाद मेरी बेटी ने अपने साथ हुए जुल्म की कहानी बताई । उसने बताया कि कुलदीप सेंगर के लोगों ने कार में ले जाकर उसके साथ रेप किया । ये बात उसकी चाची ने अपने पति यानी मेरे देवर से बताई, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं हुआ, क्योंकि उसका पहले से सेंगर के साथ बैठना-उठना था ।
खैर बहुत कहने के बाद देवर FIR लिखवाने थाने गया, लेकिन पुलिस ने सेंगर के खिलाफ FIR नहीं लिखी । पुलिस उसका नाम लिखने के लिए तैयार ही नहीं हुई । इसके बाद मेरी बेटी ने दिल्ली से ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा ।
मैं तो बेटी का हाल देखकर टूट गई थी । घर में मेरी सास की तबीयत खराब रहती थी ।
3 अप्रैल 2018 की बात है, मेरे पति दिल्ली से सास की दवा लेकर उन्नाव आए थे । शाम के वक्त हम लोग घर के अंदर बैठकर चाय पी रहे थे कि कुछ लोग आ गए । हमने डर से दरवाजे बंद कर लिए । वे लोग छत पर गए और पीछे की तरफ से हमारे आँगन में उतर गए और मार-पीट की । पति को खींचकर मारते-मारते बाहर ले गए ।
हमने सोचा कि वे लोग मेरे पति को पुलिस स्टेशन ले गए होंगे । कुछ देर में छोड़ देंगे, लेकिन तभी मेरे छोटे से बेटे ने बताया कि पापा को पेड़ के साथ बाँध दिया है । हम वहाँ की तरफ भागे । हमने देखा कि मेरे पति को उन लोगों ने नीम के पेड़ के ऊपर बाँध दिया था और बंदूक की बट से उन्हें मार रहे थे ।
मेरे पति लहूलुहान हो चुके थे । हमने दौड़ भाग कर पुलिस को बताया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । पुलिस खड़ी तमाशा देखती रही, वे लोग मेरे पति को मारते रहे । फिर वो लोग उसे पेड़ से उतार कर थाने में फेंक कर चले गए । हम भी पुलिस थाने की तरफ भागे । अपने पति को पानी पिलाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने मुझे पानी नहीं पिलाने दिया । पुलिस वाले बोलने लगे कि पानी पिलाया तो जहर फैल जाएगा ।
मेरे पति ठंड से कांप रहे थे ।
पुलिस ने उन्हें कंबल तक नहीं ओढ़ाने दिया । तब हम डीएम के पास फरियाद लेकर गए । फिर एसपी ऑफिस आए, जहाँ पुलिस ने उल्टे हम सब को लॉकअप में डाल दिया । खैर हम किसी तरह अपने घर आए । वहाँ से पुलिस ने मेरे पति को अस्पताल ले जाने की बजाय जेल भेज दिया । जेल में ही उनका इलाज होने लगा । उधर मेरी बड़ी बेटी को जब पता लगा कि उसके पापा को मारा है तो वो बिना टिकट के ही दिल्ली से सीधे लखनऊ आ गई ।
तब हमें गाँव के कुछ लोगों ने बताया कि सेंगर के लोगों ने गाँव घेर लिया है । वे तुम लोगों को मार देंगे । यहाँ से भाग जाओ । सेंगर ने गाँव से सारे वाहन वालों को मना कर दिया था कि इन लोगों को कोई कहीं नहीं ले जाएगा । सायरन बजाती उसकी गाड़ियाँ गाँव में जब घूमती थीं तो गाँव वालों के दरवाजे बंद हो जाते थे । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था । मेरी सास के पास पुरानी तीन सोने की चूड़ियाँ थीं । उसमें से एक सोने की चूड़ी उसने गिरवी रखकर किसी से रात में पैसे लिए ।
मैं अपनी तीन बेटियों, एक बेटे और बूढ़ी सास के साथ रात के अंधेरे में गाँव से निकल गई । हमारे पास सिर्फ बदन पर कपड़े थे । उसके अलावा कुछ नहीं । पैदल चलते-चलते सुबह के 5 बज गए । गाँव से तो हमें कोई टैंपू मिल नहीं सकता था, क्योंकि सेंगर ने सभी को मना कर रखा था । हम घने अंधेरे में मारे-मारे फिर रहे थे । 50-70 किलोमीटर पैदल चलने के बाद हमें कानपुर के लिए टैंपू मिला ।
हमारे पास न तो खाने के लिए कुछ था और न ही ओढ़ने के लिए चादर, कंबल । मेरी सास ने मुझसे कहा कि हमें लखनऊ चलना चाहिए । गाँव से निकलने से पहले हम लोगों ने अपने मोबाइल के सिम निकाल कर फेंक दिए थे ताकि पुलिस या सेंगर के लोग हमारी लोकेशन जानकर पता न कर पाए । अगर हम सेंगर के हाथ आ जाते तो सारे के सारे मारे जाते । मैं एक दम टूट चुकी थी, हार चुकी थी ।
वहाँ से हम लोग लखनऊ के लिए निकल गए । लखनऊ जाने के बाद प्लेटफॉर्म पर मुझे मेरी दिल्ली से आई बेटी मिल गई । अब मेरा पूरा परिवार साथ था । इससे मुझे थोड़ी मजबूती मिल रही थी, लेकिन अपने पति की चिंता हो रही थी । उनका कुछ पता नहीं चल रहा था । बड़ी बेटी ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई । आखिरकार उसने गौतमपल्ली थाने के सामने खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली । इसके बाद पुलिस और प्रशासन जागा । हमारी FIR हुई । मामला CBI को सौंपा गया ।
उधर 9 अप्रैल 2018 को पति की मौत हो गई, लेकिन पुलिस ने हमें जानकारी नहीं दी । देवर का फोन आया कि भाई की मौत हो गई है ।
तीन दिन बाद हमें बॉडी दी गई । उनका शरीर ऐसा हो चुका था कि देखा नहीं जा सकता था । इसके बाद सेंगर ने मेरे देवर को भी झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल में डलवा दिया । हमारा केस चलता रहा ।
एक दिन मेरी बेटी अपनी चाची और उसकी बहन के साथ CBI के कहने पर गवाही देने उन्नाव आई । यहाँ से वो अपने चाचा से मिलने के लिए रायबरेली जेल जा रही थी । रास्ते में उनकी गाड़ी का एक ट्रक से एक्सीडेंट करवाया गया । घटना मीडिया में फैली तो स्वाती मालीवाल ने इलाज के लिए मेरी बेटी को दिल्ली बुला लिया तो उसकी जान बच गई, लेकिन उसकी चाची और उसकी बहन की मौत हो गई ।
ट्रक का नंबर काले रंग से पुता हुआ था । पति की मौत के बाद घर में सिर्फ देवर ही मर्द बचे थे । उन्हें भी झूठे मुकदमों में अंदर करवा दिया । एक्सीडेंट में मेरी बेटी का वकील महेंद्र भी था । एक साल के बाद उसकी मौत हो गई । सेंगर जैसे ताकतवर आदमी से लड़ाई में मेरे घर की चार मौतें हो चुकी थीं । मेरे पति की, मेरी सास की (गम में), मेरी देवरानी और उसकी बहन की और देवर अभी भी जेल में हैं । चारों बेटियाँ जवान हो चुकी हैं । शादी के लायक हैं, लेकिन मैंने अभी तक अपने घर के मरे हुए लोगों की तेहरवीं नहीं की है । कौन करेगा तेहरवीं ? मर्द तो घर में सिर्फ मेरा देवर ही बचा है । वो भी जेल में है ।
कुछ दिन पहले हम देवर के लिए कानूनी मदद मांगने प्रियंका गांधी के पास गए थे । उन्होंने हमें बताया कि वह UP में 40% औरतों को टिकट दे रही हैं । तभी जिस बेटी के साथ रेप हुआ है वह कहने लगी कि दीदी मैं चुनाव लड़ूँगी । उन्होंने उम्र पूछा तो वह बोली 19 साल ।
दीदी ने कहा कि 25 साल की हो जाओ तब हम तुम्हें चुनाव लड़ाएंगे । फिर दीदी ने कहा कि आप घर की मुखिया हैं । आप चुनाव लड़िए ।
मैंने कहा कि मैं तो चूल्हा-चौका करने वाली औरत हूँ । न भाषण देना जानती हूँ न बोलना जानती हूँ तो दीदी कहने लगी कि आपको कुछ बोलना ही नहीं है । बस हाथ जोड़ लेना और यही कहना है कि मैं रेप पीड़िता की माँ हूँ । बाकी सब हम देख लेंगे । उन्होंने कहा कि सत्ता हासिल करो और अपनी लड़ाई खुद लड़ो ।
मुझे प्रियंका बहुत पसंद हैं । मुझे देखकर वे कहती हैं कि मेरी माँ ने भी बहुत तकलीफें झेली हैं, उनके साथ भी बहुत कुछ हुआ । हम भी अपने पापा का चेहरा नहीं देख पाए । ऐसा कहते हुए वह रो देती हैं । वे बोलती हैं कि हम जीवन-जीवन तक तुम्हारे साथ रहेंगे । बस उनके सहारे मैंने भी टिकट के लिए हाँ कह दी ।
उन्होंने ये सारी बातें भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से शेयर की हैं…।
आशा सिंह उन्नाव रेप पीड़िता की माँ हैं । कांग्रेस ने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें उन्नाव से टिकट दिया है ।
उत्तर प्रदेश वासियों को आशा सिंह के साथ हुई घटनाओं के बारे में जरूर जानना चाहिये और वोट देते समय याद रखना चाहिये कि ये वही भाजपा की सरकार थी जो कुलदीप सिंह सेंगर जैसे अपराधी को बचाने का काम कर रही थी ।