गुम होता एटा का ओद्योगिक व्यापार,रिपोर्ट निशाकांत शर्मा

चुनाव 2022 में एटा की मांग तहसील को मिले सरकारी अनुदान

गुम होता एटा का ओद्योगिक व्यापार

नेता भोली भाली जनता को नल ओर नली में फंसा के रखे है ,

उत्तर प्रदेश के एटा जनपद की अलीगंज तहसील लकड़ी की तम्बाकू अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में जाने के बाद भी सरकारी अनुदान न मिलने के कारण आज एटा जनपद सौतेला पन महसूस कर रहा है,
जलेसर तहसील पीतल के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में जाने के साथ-2 फिल्म दुनिया में एक गाना के वोल मीरा नाचे विन … जलेसर के घुंघरू थे, किसी मन्दिर में चले जाये वहाँ लटके घण्टे जलेसर के होगे,
लेकिन सरकारी अनुदान न मिल पाने के कारण आज पीतल की नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद है,
ब्लॉक महारहरा में चूड़ी की कई भट्टिया चला करती थी, सरकारी अनुदान न मिल पाने के कारण आज सुहाग की नगरी फीरोजाबाद है,
आखिरकार 2007 में वसपा को सात सीट जीत दी, लेकिन एटा के साथ सोतेले पन का ब्यबहार किया गया ओर कासगंज को कांशीराम नगर करके एटा की कमर तोड़ी है, बदलाव किया ओर
सपा को 2012 में 6सीट दी ओर एक वसपा दी ,बदलाव किया ओर 2017 में एटा-कासगंज मिलाकर सात सीटे भारतीय जनता पार्टी के खाते में दी लेकिन योगी के विधायक भी खरे नही उतरे
अभी एटा जनपद सोते ले पन बहुत-बहुत परेशान है, नेता जनपद एटा की जनता को पाँच साल में नल ओर नली में फंसा कर रखे था, भाजपा ने तो नली भी उसी की वनी जिसने लाखों रूपये में आग लगा ली

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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