
रामवीर उपाध्याय के भाजपा में आने से फिर मिलेगा ब्राह्मणों का समर्थन
उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय का भाजपा की सदस्यता लेना भाजपा को संजीवनी मिलने जैसा ही है क्योंकि पूरे उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण अनेकों कारणों से भाजपा सरकार से व्यथित होकर छिटक रहा था। भाजपा में कोई भी ऐसा नेता नहीं था जो ब्राह्मणों के रिसते घावों पर मलहम लगाने का काम करता। आगरा और अलीगढ़ मंडल में तो एक भी ऐसा ब्राह्मण नेता दिखाई नहीं देता था जो सरकारी अधिकारियों से पीड़ित ब्राह्मणों को मुक्ति दिलाता। बल्कि भाजपा के ही सांसद और विधायक जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से सिर्फ अपने और सजातियों के कामों की सिफारिश ही करते देखे गये। ब्राह्मणों के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही दोषी ठहरा दिया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री अधिकारियों को शह दे रहे हैं और वे भाजपा के सांसद और विधायकों की सुनते ही नहीं हैं। भाजपा के ही सांसद और विधायकों ने ही जनता की नजर में एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दोषी बना दिया वहीं वे स्वयं अधिकारियों से साठगांठ कर अपने, रिश्तेदारों और सजातियों के काम करते रहे। उन्होंने ब्राह्मणों को पूरे पांच वर्ष तक मूर्ख बनाया। ब्राह्मण बुद्धिजीवी कौम है वह चुनाव के समय ही अपनी नाराजगी जाहिर करती है। हालांकि विपक्षी दलों ने कानपुर के बिकरू कांड का हवाला देकर ब्राह्मणों को बरगलाने की कोशिश भी की लेकिन उन्होंने विकास दुबे के इनकाउंटर को सहज ही लिया। इस प्रकरण में ब्राह्मणों का कहना था कि जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। लेकिन ब्राह्मण अपनी उपेक्षा से पूरी तरह टूट चुका था। उसकी जमीनों पर भाजपा के विधायकों ने भी कब्जा करने के प्रयास किये। यूपीएसआईडीसी अलीगढ़ के सरकारी अधिकारियों द्वारा रजिस्ट्री किये प्लाटों का आवंटन बिना कब्जा दिये निरस्त कर दिया गया। यह सब न्यायप्रिय कहे जाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ही कार्यकाल में किया गया। भाजपा के सांसद और विधायकों से फरियाद की गई लेकिन उन्होंने उन्हें कोई तबज्जो नहीं दी। ब्राह्मणों ने बहुजन समाज पार्टी को भी वोट देकर सरकार बनवाकर देख लिया। मायावती जी ने वोट लेकर भी अपने कार्यकाल में ब्राह्मणों की भरपूर उपेक्षा की। लेकिन उस समय ब्राह्मणों की आशा की किरण के रूप में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय मौजूद थे जिन्होंने ब्राह्मणों को अपना सहयोग दिया। उनके पास हाथरस ही नहीं आगरा और अलीगढ़ मंडल के लगभग सभी जिलों से यूं तो सभी समाज के लोग पहुंचते रहे लेकिन खासकर ब्राह्मणों की सहायता करने वाला सिर्फ एक ही नेता रामवीर उपाध्याय के रूप में मौजूद था। उसके बाद समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार बनने पर हालांकि ब्राह्मणों ने उन्हें वोट किया था लेकिन सपा मुखिया के गले नहीं उतरा। उन्होंने अपने विधायकों से ब्राह्मणों के कार्य न कराने का फरमान जारी कर दिया। जो हरदोई जनपद के एक अल्पसंख्यक विधायक के वीडियो के वायरल होने पर ब्राह्मणों को सर्व विदित हुआ। हरदोई जनपद के कुछ ब्राह्मण लोग एक प्रकरण में अल्पसंख्यक विधायक से सहायता की आशा लेकर पहुंचे तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि सपा मुखिया के यह निर्देश हैं कि वे ब्राह्मणों का कोई काम न करें और उस विधायक ने उन लोगों को अपने दरवाजे से निराश कर लौटा दिया। ब्राह्मणों ने अब तक हर एक राजनैतिक पार्टी को समर्थन देकर देख लिया लेकिन किसी भी पार्टी ने आजतक यह खुलकर नहीं कहा कि उन्हें ब्राह्मणों का वोट मिला है और उनके सहयोग से हमारी सरकार बनी है। आखिर यह क्या बिडम्बना है कि ब्राह्मण समाज हर सरकार की अपेक्षाओं पर खरा उतरता रहा है और उसकी नीतियों का अक्षरशः पालन करता है फिर भी कोई उसे अपना कहने को तैयार नहीं। वर्तमान में तो स्थिति यह हो गई है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में कोई ऐसा ब्राह्मण नेता नहीं है जो ब्राह्मणों के राजनैतिक प्रभाव से हो सकने वाले कार्यों को अपनी दम पर करा सके। यह ब्राह्मण समाज की दुर्गति का एक उदाहरण है। क्योंकि ब्राह्मण नेताओं ने शायद ही इतना भेदभाव किसी समाज से नहीं किया होगा लेकिन आज स्थिति इतनी भयावह है कि वैसे तो पूरा सवर्ण समाज ही सभी जातियों के नेताओं की आंखों में खटक रहा है। परन्तु उसमें भी ब्राह्मण समाज सर्वोपरि है। ऐसे नाजुक समय में रामवीर उपाध्याय आगरा और अलीगढ़ मंडल के ब्राह्मणों के लिए आशा किरण बनकर उभरे हैं। उनके भाजपा में शामिल होते ही भाजपा से निराश ब्राह्मणों में एक उम्मीद जगी है कि वे इस सरकार में उनसे अपनी व्यथा तो कह सकेंगे?