दलबदल करने वाले को सबक सिखाएं!

दलबदल करने वाले को सबक सिखाएं!

आजकल उत्तरप्रदेश में भाजपा छोड़ समाजवादी पार्टी में जाने की होड़ मची हुई।भाजपा में इसे लेकर जहां कोहराम है वहीं समाजवादी पार्टी फूली नहीं समा रही है।ये सच है कि भाजपा की हालत डूबते जहाज सी हो गई है लोग वहां से भागने व्यग्र हैं होना स्वाभाविक ही है किंतु ये लोग जिस पार्टी का रुख कर रहे हैं और ये बताया जा रहा है कि पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अब भाजपा भरोसेमंद नहीं रही है वे यह क्यों नहीं टटोलते कि जब वे भाजपा में रहे तब कितनी बार उनकी नीतियों का विरोध किया। वहां बैठकर मलाई खाते रहे और जी हुजूरी करते रहे और अब जब पार्टी डूब रही है तो निज सर्वार्थ के वशीभूत हो अन्य दल में शामिल होने चल दिए ।ऐसे लोगों का क्या भरोसा जीतने के बाद फिर यहां बने रहें सत्तालोलुपता और बड़ी राशि के साथ इनकी घर वापसी हो सकती है।यह भी कयास लगाया जा रहा है यह प्रीप्लांड है।

ऐसी स्थितियां पहली बार नहीं बनीं है मध्यप्रदेश में तो ताजा बनी सरकार को ऐसे ही सत्तालोलुपों ने धूल चटाई थी। सोचिए आपकी वोट का अपमान करके जब ये दूसरे दल में जाते हैं तो इन्हें लेशमात्र शर्म नहीं आती।भाजपा जिसकी रग रग में व्यापार है वे मात्र दो सदस्य होने पर मणिपुर और पूर्ण बहुमत वाली गोवा सरकार को सरकार नहीं बनाने देती। रातों रात शपथ हो जाती है ।भाजपा की ये तहज़ीब ही बन चुकी है।थूककर चाटना कोई उनसे सीखे। राजनीति में दल-बदल का ये अविश्वसनीय सिलसिला मतदाताओं को भी उदासीन बना रहा है।वे अब सिर्फ में केन प्रकारेण सत्यता में बने रहना चाहते हैं।ये लोकतांत्रिक सरकार का चरित्र नहीं है।

सवाल उठता है तब मतदाता क्या करें कैसे तय करें किसे वोट दे किसे ना दे।तो सबसे पहले तो ऐसे लोगों को दिल से निकाल दे जिन्होंने दल-बदल कभी भी किया है।वे कितनी ही वजहें बताएं उसे नकार दें। उनसे सवाल जरूर करें वे जब सत्ता में थे उन्होंने क्या किया ? उन्हें शर्मिंदा करें आपने हमारी वोट का अपमान किया है।कितने ही वायदे करें चरण वंदना करें।मन कमज़ोर ना करें।

ऐसे लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करने वाले दल इस बात को ध्यान रखें वे टिकिट के लिए यहां आए हैं टिकिट मत दीजिए फिर देखिए क्या प्रतिक्रिया होगी? उनसे कहिए वे नये नये आए हैं पुराने पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही टिकिट मिलेगी।बस सब ओ बी सी वाली बात भूल जायेंगे।इसके बावजूद भी यदि कोई पार्टी में रहता है तो उसे काम दीजिए। विश्वसनीयता पता चल जाएगी हालांकि ऐसी नौबत नहीं आएगी।

भाजपा का इतिहास कांग्रेसमयी होने से ही सुदृढ़ हुआ वे जो पिछले पांच दशकों से सत्ता सुख भोग रहे थे उनकी मनोदशा को भाजपा ने खूब भांपा और उनका साथ दिया।

निश्चित तौर पर भारतीय राजनीति जिस पतन की ओर है उसमें राजनैतिक दलों से अपेक्षाएं बहुत कम है सिर्फ वोट देने वाले मतदाताओं से ही आशा की जा सकती है। हालांकि उन्हें मंदिरों मस्जिदों में कुछ राशि देकर सौगंध दिलाई जाती है कि उनका वोट फलां फलां जगह जाएगा।खैरात की बिसात तो पहले से बिछ चुकी है। कहीं कहीं दबंगों की तूती भी बोलती है। नहीं नशे का कारोबार चलता है।इन पर नज़र रखनी होगी चुनाव आयोग के भरोसे नहीं बैठा जा सकता।इन सब हालात में भी यदि सभी मतदाता एकमतेन ठान लें कि वे दलबदलुओं को बुरी तरह हरायेंगे।वे किसी भी पार्टी के हों तो कुछ बात बन सकती है।वह सिलसिला भी तोड़ा जा सकता है जो चुनाव के बाद देखने मिलता है।जनता जिसे वोट करें उससे पहले और बाद में भी अपनी शिकायत कर सके।एक उम्दा ट्रैंड हरियाणा पंजाब कि किसानों ने चलाया था कि उनके क्षेत्र में मंत्री, विधायक नहीं पहुंच पाए। विरोध का यही डर मोदीजी को भी फिरोज़पुर जाने से रोक देता है।

आज ज़रूरत मतदाताओं के बुलंद इरादे की है। उनमें अपरिमित ताकत है। आखिरकार भारत में जनता का जनता के लिए जनता द्वारा राज ही लोकतंत्र का आधार है।जनता मालिक है नौकर है सरकार।जब लोग भारतीय संविधान की मूल भावना को समझ कर मतदान करेंगे। राजनैतिक गंदगी फैलाने वालों का वहिष्कार करेंगे तभी शुचिता देश में आएगी।दलबदलू तिलचिट्टों की तरह दम तोड़ते नज़र आयेंगे।आइए सबक सिखाने संकल्पित हो जाएं। एकजुटता से सब कुछ हासिल होगा ।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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