अभी और खतरनाक दौर आएगा कारागार एटा में?

अभी और खतरनाक दौर आएगा कारागार एटा में?

हम कोरोना के इस दौर से पिछले दो साल से गुजर रहें है इसी वायरस नें हम सबको एक होकर व एक-दूसरे की मदद करना भी सिखाया हैं तो वही शासन प्रशासन की पेशानी भी बढ़ा दी थी। जब भारत के हर शहर-कस्बे में covid के मरीज मिल रहें थे तब एक स्थान ऐसा भी था जहाँ बड़े ही सजग होकर पूरी व्यवस्था को संभाला गया था। इस व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट नें भी अपने आदेशों से सहयोग दिया था। लेकिन दौर फिर बापिस आ रहा है…….!!!

कारागारो में बंदियों की क्षमता से अधिक बंदी बंद हैं यह बात पूरे शासन से लेकर प्रशासन को भलीभांति पता है लेकिन कारागार के प्रति एक आम जनमानस में धारणा हैं कि बंदी मनुष्य नहीं हैं अपराधी नाम का जानवर हैं। इसी आम जन मानस की धारणा को ख़त्म करने के लिए 2002.में सुप्रीम कोर्ट नें कारागार को सुधार गृह उप नाम दिया था लेकिन पुलिस बिभाग नें अपनी धारणा में कही भी कमी नहीं की… जिसका उदाहरण यह है कि कारागार एटा में अभी हाल की छोटे-मोटे अपराधों की धरपकड़ में इतनी तेजी लाई गई हैं कि कारागार एटा की हालत खस्ता हाल हों गई हैं। अब यह पूरे प्रशासन को चिंतन करना होगा की क्या लोगो को मरने के लिए जेलों में ठूसा जाये या फिर स्थानीय थानो से निजी मुचलको पर रिहाई का रास्ता निकाल लिया जाये। जब कि स्थानीय जेल कि लगभग क्षमता 650 के करीव है जबकि अभी जेल में 1320 बंदी बंद हैं.अब सोचना यह है कि हम कारागार एटा को किस मुहाने पर ले जाना चाहते है सोचना ही होगा….

यह स्थिति क्यूँ आई….

हमारे द्वारा दस दिन पूर्व एक लेख के माध्यम से सचेत किया गया था कि कोरोना का बम्ब जेल में नामक लेख के माध्यम से आभास कराया गया था कि प्रशासन को सोचना होगा कि कारागार में निरुद्ध बंदियों की जिंदगी को कैसे बचाया जाये। चुंकि अभी एक माह से बार एसोसिएशन एटा की हड़ताल बरकरार हैं जिससे अधिवक्ताओ नें न्यायालयों में काम करना बंद कर दिया है। स्थिति स्पष्ट हैं कि प्रशासन को अपनी व्यवस्थाओ पर ध्यान देना होगा कि कही कोरोना के बमं से मौतो का जखीरा ना पैदा हों जाये। और अगर ऐसा हुआ तो फिर जो अफसर चुनाव कराने तक जिलों में रुकने की सोच बैठे हैं। जाना तय हो सकता है….

सभी जानते हैं कि…..

एटा की जनता भलीभांति जानती समझती हैं कि प्रशासन के लिए अभी की स्थिति खेत की मैड पर पूरी रफ़्तार से दौड़ने के समान हैं। जो बेहतर काम करेगा वो रुकेगा लेकिन बेहतर कामो के चक्कर में जेलो में सड़ान पैदा ना हों इस लिए सोचना होगा!!…

एक बेहतर सुरक्षा समाज की नींव हैं. लेकिन जीवन महत्वपूर्ण हैं।

????नवबर्ष की शुभकामनाओ के साथ
एटा

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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