केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बदला जन इतिहास: ग्वालियर में पहली बार झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे हाथ जोड़कर माथा टेका.!!

!!.केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बदला जन इतिहास: ग्वालियर में पहली बार झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे हाथ जोड़कर माथा टेका.!
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने सिंधिया परिवार का जन इतिहास बदलने की कोशिश ग्वालियर में की। उन्होंने वो कर दिया, जो अब तक सिंधिया घराने के किसी महाराज ने नहीं किया। ज्योतिरादित्य भीड़ से अलग होकर अपने समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ अचानक झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंच गए। समाधि के सामने हाथ जोड़े और शीश झुकाकर लक्ष्मीबाई को नमन किया। इतना ही नहीं, वहां 2 मिनट रुककर प्रार्थना की और पुष्पांजलि भी दी। समाधि की एक परिक्रमा भी लगाई। यहां कुछ देर ठहरने के बाद वह निकल गए।
आलोचकों के मुंह बंद किए
यह किसी से छिपा नहीं है कि जब भी सन् 1857 की क्रांति और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बात होती है तो सिंधिया परिवार की भूमिका उनके विरोधी के रूप में याद की जाती है। हिंदूवादी संगठन चुनावों में भी इसका जिक्र करते रहे हैं। वे इसे लक्ष्मीबाई के साथ सिंधिया परिवार की गद्दारी कहकर मुद्दे को हवा देते रहे हैं। हालांकि, ज्योतिरादित्य जब से कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं तब से ये कयास लगाए जा रहे थे कि क्या वे लक्ष्मीबाई की समाधि पर आएंगे ?
ज्योतिरादित्य इसलिए गए समाधि पर
माना जा रहा है कि भाजपा में शामिल होने के बाद से सिंधिया पर लगातार दबाव था कि लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाएं क्योंकि, भाजपा के हिंदूवादी नेता उन पर अंदर ही अंदर इसे लेकर कटाक्ष कर रहे थे। यही वजह है कि ज्योतिरादित्य को रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाना पड़ा। इसके पीछे की वजह राजनीतिक भविष्य है। उन्हें भाजपा में आगे बढ़ना है, इसलिए यह बैरियर तोड़ना पड़ा है। अब उनके कहने और बोलने के लिए कुछ नहीं बचा। साथ ही सिंधिया ने भी दिखा दिया कि उन्होंने भाजपा को राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करने ही ज्वॉइन नहीं की है, बल्कि दिल से आत्मसात किया है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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