यूपी (प्रयागराज) : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वसीम रिजवी से मांगा जवाब, मोहम्मद साहब पर गलत तरीके से बोलने का है आरोप
- यूपी सरकार से भी मांगी जानकारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। उन पर मोहम्मद साहब पर गलत तरीके से बोलने का आरोप है। साथ ही टीवी और अन्य सोशल मीडिया से बोल कर वैमनस्यता फैलाने का भी आरोप है।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने दाखिल जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार से आवश्यक जानकारी देने को कहा है। हाईकोर्ट अब इस मामले में 13 अप्रैल, 2022 को सुनवाई करेगी। यह याचिका मोहम्मद यूसुफ उमर अंसारी ने दाखिल की है। वह मुंबई स्थित संस्था ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव हैं। अंसारी ने कहा कि वसीम रिजवी के खिलाफ 27 मुकदमे दर्ज हैं। इनसे बचने के लिए उन्होंने धर्म परिवर्तन किया है।
वसीम रिजवी ने भले ही सनातन धर्म अपना लिया है, मगर इस्लाम विरोधी बयानों से वह मुस्लिम धार्मिक नेताओं की आंख की किरकिरी हमेशा बने रहे। यह वही वसीम रिजवी हैं जिन्हें 2004 में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की सिफारिश पर यूपी शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। हालांकि बाद में हालात ऐसे बदले कि खुद मौलाना कल्बे जव्वाद को रिजवी का विरोध करना पड़ा। उनकी ही मांग पर शिया वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार को लेकर 2017 में सीबीआईं जांच शुरू हुई।
विवादों में रहते हैं वसीम रिजवी –
1 – 9 मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप दिया जाए।
2 – कुतुबमीनार हिंदुस्तान की धरती का कलंक है।
3- यूपी के मदरसे आतंकवादियों की पनाहगाह हैं।
4 – इस्लामी परचम पर अंकित चांद-तारे के बारे में आपत्तिजनक बातें कहीं।
5 – कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
6 – पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब पर विवादित किताब लिखी।
7 – इस्लाम छोड़ने और हिंदू धर्म अपनाने का प्रकरण छाया है।