
बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण,ठेकेदारी के खिलाफ़ लोक समाज पार्टी की दिल्ली इकाई द्वारा शिव विहार पुलिया (इलाका करावल नगर ) से बृजपुरी नाले तक विशाल सत्याग्रह आंदोलन हुवा।
लोक समाज पार्टी की दिल्ली प्रदेश द्वारा बेरोजगारी, निजीकरण, ठेकेदारी और मंहगाई के खिलाफ़ सत्याग्रह आंदोलन शिव विहार पुलिया ( इलाका करावल नगर) से बृजपुरी चौराहा तक संपन्न हुवा जिसमे लोक समाज पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शाहनवाज अली, मज़दूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश कुमार सेन, उपाध्याक्ष हरि शंकर तिवारी, शाहदरा जिला अध्यक्ष अशोक कुमार नागर, मुस्तफा विधान सभा अध्यक्ष खड़क सिंह, भीम सिंह, रमेश चंद्र सेन, पनकज सेन, संगीता सेन, हुकुम सिंह, कपिल कुमार, बलदेव राज, जुनेद खान, सूरज सैन, राधे श्याम, मोहान कुमार, आर्यन, सहित दर्जनों लोग शामिल हुए।
इस आंदोलन में जगह जगह लोग अपनी बाते भी रखते रहे। पुलिस प्रशासन काफ़ी मुस्तैद थी। आंदोलन शुरु होने से पहले लोक समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर शर्मा (एडवोकेट) ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज दिल्ली की केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें जन सरोकार की मुद्दों से है कर धर्म कर्म पर जोर दे कर जनता को असल मुद्दे से भटका रही हैं। बेरोजगारी की जड़ निजीकरण ठेकेदारी जैसी समस्या पर मोदी सरकार आंख से देखना और कान से सुनना बंद कर दी है । प्रधानमंत्री मोदीजी को अब मंहगाई के पहला अक्षर म से डर लगने लगा है। उसी प्रकार बेरोजगारी का पहला अक्षर ब से डर लगने लगा है। 2014 से अब मोदीजी सैकड़ों जन सभाएं किए हैं लेकिन किसी भी जन सभा में बेरोजगारी व मंहगाई के खिलाफ एक शब्द नही बोले हैं। उनके पास बेरोजगारी और मंहगाई के बढ़ाने के लिए कोई प्लानिंग नही है।
एक लोकतांत्रिक देश का मुखिया होने के नाते बेरोजगारी दूर करने के लिए नई नई कारखाने लगवाना चहिए था जिसको पिछले 30 सालों से सभी केन्द्र की सरकारें सरकार कारखाने लगवाने बंद कर दिए हैं यही नहीं जो कारखाने पहले बने भी थे इनको बंद करने का साजिश रचते रहे है। महंगाई के रोकने के लिऐ मोदीजी के राज मे किसी भी जमाखोरों और कलाबाजारियो के खिलाफ एक भी छापे नही पड़े। सच्चाई तो यह है कि मोदी और केजरीवाल सरकार ने जमाखोरों और काला बजारियो को दिल्ली साहित पूरे देश के जनता को लूटने का मौन समर्थन करते हैं। क्योंकि उनके लूट में ये लोग भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से साझेदार होते हैं।
लोक समाज पार्टी के अलावा किसी भी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियो के पास कोई भी विजन या नीति नहीं है जो देश में आसमान छूती महंगाई और अंतरिक्ष में छलांग लगाती बेरोजगारी पर लगाम लगा सके। इन लोगो का काम किसी तरह लोगो को हिंदू मुसलमान,मन्दिर मस्जिद में उलझाकर मुफ्तखारी के माध्यम से फसाकर अपना वोट बैंक बनाए रखना है। मोदीजी बिष्टजी जी झांसे में आकर ध अक्षर यानी धर्म पर जोर दे रहे हैं। लेकिन अब देश के पढे लिखे बेरोजगार नौजवान किसान मज़दूर गोल बंद हो रहे हैं जिससे मोदी व बिष्ट जी के माथे से इस कड़ाके ठंड में खास कर उत्तर प्रदेश में पसीने निकल रहे है। लोक समाज पार्टी के पास बेरोजगारी के खिलाफ विजन यह कि सबसे पहले अटलजी से लेकर मोदीजी तक जिन सरकारी संपत्तियों को बेच दिया गया है उन सभी को पुनः सरकारी कर दिया जायेगा जिससे लोगों को सरकारी नौकरी करने का अधिकार सुरक्षित रहेंगे। नीति आयोग का नाम बदल कर योजना आयोग बनाकर पंच वर्षीय योजना के तहत देश में हर साल सरकारी कारखाने लगवाए जाएंगे और बंद कारखानों को फिर से चालू करवाया जायेगा। इस तरह बेरोजगारी पर लगाम लगाया जायेगा।
मंहगाई को रोकने के लिए विधान सभाओं और लोक सभा के चुनाव को जस्टिस वी एम तारकुंडे की रिपोर्ट लागू कर कर सरकारी फंड से कराया जायेगा जिससे किसी भी व्यापारी को देश को लूटने की इजाजत नहीं मिलेगी जिससे महंगाई पर लगाम लगेगा। इसी तरह लोक समाज पार्टी के पास हर क्षेत्र में विजन स्पष्ट है जो भारतीय निर्वाचन आयोग में पार्टी का विजन भी पंजीकृत है।अब समय की पुकार है कि देश में संविधान के तहत एक नया विकल्प देने के लिऐ लोक समाज पार्टी के साथ जुडे।