बहुत कुछ प्राकृतिक होता है लेकिन होता नहीं हैँ!

बहुत कुछ प्राकृतिक होता है लेकिन होता नहीं हैँ!

CDS विपिन रावत का विवाह शहडोल के राजा की पुत्री मधुलिका सिंह से हुआ था।

जनरल विपिन रावत की शादी मध्यप्रदेश (शहडोल) से हुई थी। जिस समय यह हादसा हुआ था उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी उनके साथ थी। पति के साथ उनका भी स्वर्गवास हो गया। स्वर्गीय मधुलिका सिंह (रावत) शहडोल जिले के गढ़ी सोहागपुर के राजा मृगेंद्र सिंह की इकलौती पुत्री थीं। दो भाइयों में अकेली बहन मधुलिका घर की चहेती थीं। उनके विवाह की रस्म दिल्ली में संम्पन हुई थीं। उनकी दो बेटियां हैं, बड़ी बेटी कृतिका जिसकी शादी हो चुकी है, जबकि छोटी बेटी तनु रावत जो हादसे के वक़्त घर पर अकेली थी। हादसे की खबर मिलते ही शहडोल जिले में भी शोक की लहर दौड़ गयी।आपको बताते चलें कि जनरल बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं और शहीदों के आश्रितों की भलाई के अभियान में सक्रिय रहती थीं।आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन भारत के सबसे बड़े स्वैच्छिक संगठनों में से एक है, जो स्थापना के समय से ही आर्मी जवानों की पत्नी, सेना के कर्मियों के आश्रितों के सामाजिक सशक्तिकरण और कौशल निर्माण में लगा है। वे यहां सिलाई, बुनाई भी सिखाती थीं।
सामाजिक मधुलिका रावत को सिलाई, बुनाई का काफी शौक था। वे खाली समय में सिलाई करती थीं। इतना ही नहीं इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा भूटान में उनके नाम का डाक टिकट भी जारी जो चुका है।
मालूम हो कि विपिन रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए। वहीं उनकी मां प्रदेश के उत्तरकाशी की रहने वाली हैं, जो पूर्व विधायक किशन सिंह परमार की बेटी भी हैं। जनरल रावत की दो बेटियां हैं। एक बेटी का नाम कृतिका रावत जबकि दूसरी बेटी के नाम तनु रावत है।

जनरल बिपिन रावत ने देहरादून और शिमला में पढ़ाई पूरी करने के बाद एनडीए और आईएमए देहरादून से सेना में एंट्री ली थी। वे 1978 में सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मिलिट्री-मीडिया स्ट्रैटेजिक स्टडीज में पीएचडी भी की थी।
जनरल बिपिन रावत ने 17 दिसंबर 2016 को जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद 27वें सेनाध्यक्ष के रूप में भारतीय सेना की कमान संभाली थी।1जनवरी 2020 को देश में पहली बार CDS सीडीएस की नियुक्ति हुई थी और जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस नियुक्त किए गए।
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यह जानकारी तो लगभग देश विदेश के जनरल रावत के चाहने वालों को वखूबी पता है। लेकिन CDS रावत व सहयोगियों की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई हैँ यह अभी भी जाँच का विषय हैं। परन्तु दुनिया के दो CDS की मौत हवाई दौरे के दौरान हुई हैँ। पहला ताईवान व दूसरा भारत??? ताईवान इस समय किस परिस्थिति से जूझ रहा हैँ दुनिया जानती है। और भारत किन चक्रो में उलझ गया है,भारत से बाहर व अंदर के लोग जानते हैँ। भारत इस समय ही नहीं और इन परिस्थितियों में तो 760 वर्षो तक उलझा ही रहा है जिन राहों से भारत निकल ही नहीं पाया है। उसके बड़े कारण रहें हैँ जिनमे भारत के अंदर ही गद्दार या यूँ कह सकते है कि स्वार्थी जानवर पनप रहें है जिन्होंने समय-समय पर भारत को घाव दिए है।

भारत की विद्वान नीतियों पर गौर किया जाये तो CDS विपिन रावत जैसी घटनाएं भारत में अमूमन हजारों में हुई है या गद्दारो ने कराई है।किन्तु भारत के लोगो ने अपने होनहार इतिहास से कुछ भी नहीं सीखा है। कुछ-कुछ इस घटना से भी यही लग रहा है। सरकार ने सही से इस पूरे प्रकरण पर नजर रखी तो पाएंगे कि भारत के अंदर के लोग इस पूरे घटनाक्रम में शामिल नजर आ सकते है। और समय हैँ भी कि अंदर के लोगो को जवाव दिया जाये क्यूंकि CDS रावत की मौत एक इंसान से ज्यादा पूरे राष्ट्र की मौत माने तो भारत के लिए बेहतर होगा, CDS रावत ने जिस तरह से अपने वयान दुनिया को दिए व भारत सरकार की नीतियों पर काम किया हैँ उससे तो यही प्रतीत होता है कि मौत मामूली नहीं हैं।

पूरा राष्ट्र चुप हैँ.. जानता सब हैँ

हम भारत के वासी यूँही इतने समय से गुलाम नहीं रहें है क्यूंकि हम तूफान की आहट को ना पहले समझें थे और ना अब समझ रहें है,क्यूंकि भारत के लोगो ने जिओ और जीने दो की राह को समझा हैँ और यही कारण हैँ कि CDS विपिन रावत जैसे अफसर को खो देने के बाद भी षड़यंत्र को नहीं समझा जा रहा है।

जल्द इस लेख को पूरा करने आएंगे…!

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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