कासगंज में 4 दिन पूर्व हुई बेटी हत्या मामले में पुलिस लगी दोषियों को बचाने में

कासगंज में 4 दिन पूर्व हुई बेटी हत्या मामले में पुलिस लगी दोषियों को बचाने में।

दोषियों की गिरफ्तारी न होने से परिवारीजनों में पनप रहा है आक्रोश।

बेटी को न्याय न मिला तो करेंगे जनपद में बहुत बड़ा आंदोलन।

एटा/ कासगंज- एटा जनपद के शहर में सोमवार देर शाम कासगंज शहर में हुई 2 दिसंबर 2021 को छात्रा की हत्या मामले को लेकर घटना जिसमें रिया लोधी कक्षा नौ की छात्रा अपनी सहेली द्वारा अपने घर पर बुलाकर गोली मारकर हत्या प्रकरण में अभी तक किसी भी दोषी को नहीं पकड़े जाने से परिवारीजनों एवं लोधी समाज में भारी गुस्सा और आक्रोश पनपता जा रहा है परिवारी जनों का कहना है कि उनकी बेटी की हत्या कहीं ना कहीं एक साजिश है जिसे जानबूझकर अंजाम दिया गया है जिसके कारण पुलिस प्रशासन और नेताओं की मिलीभगत से मृतक छात्रा के दोषियों को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है शहर में कैंडल मार्च निकालते समय मृतका के नाना लोकेंद्र सिंह लोधी ने बताया हमारी बेटी कभी भी मरना तो बहुत दूर मरने का नाम भी नहीं लेती उसे हम लोगों ने उसे अच्छे संस्कार दिए हैं ऐसा सपने में भी नहीं सोचा जा सकता है कि हमारी अपने आप को मौत के गले लगा ले जब तक बेटी के साथ न्याय नहीं मिलेगा तब तक हम सभी लोग चुप नहीं बैठेंगे चाहे फिर हमें कुछ भी करना पड़े करेंगे तो वहीं मृतका के मामा पुष्पेंद्र सिंह राजपूत ने बड़े भावुक होकर बताया कि भांजी बहुत ही पढ़ने लिखने में होशियार थी उसने कभी बंदूक या अन्य कोई हथियार छुआ तक नहीं तो वह सुसाइड या अपने आप बंदूक कैसे चला सकते हैं बेटी की मौत पर बहुत ही बड़ा अन्याय योगी सरकार में कासगंज पुलिस द्वारा देखने को मिल रहा है जिससे कई दिन गुजर जाने के बाद भी किसी भी दोषी को अब तक पकड़ा नहीं जा सका है एक तरफ सरकार कहती है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और महिलाओं को 24 घंटे घर से कहीं भी निकलने में कोई असुरक्षा महसूस नहीं होती है ऐसा कहना सिर्फ बातूनी पुलाव बांधना है या यूं कहें योगी सरकार अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना, दिखाने में किसी से कम नहीं रहना चाहती लेकिन हकीकत कुछ उसके उलट है उसी का कारण है कि अब तक मृतका के हत्यारे को गिरफ्तार नहीं किया गया है मृतका के परिजनों ने कासगंज पुलिस पर कई प्रकार से आरोप लगाए हैं अब आगे समय में देखना होगा कि मृतका छात्रा के दोषियों को पुलिस कब और कितनी जल्दी अपनी गिरफ्त में लेती है और बेटी को न्याय दिलाती है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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