कासंगज की बेटी की मौतपर राजनीतिक जमाबड़ा यह स्वार्थनीति है कोई राजनीति नही है।

एटा।मरी हुई आबरू पर जितनी भीड़ उमड़ती है काश उतनी जिंदा पर भी होती तो सायद कोई बेटी बेआबरू होकर मौत के मुह मे नहीं समाती हम कासगंज की बेटी की मौत पर राजनीतिक जमाबडे़ की बात कर रहे है क्या वाकई यह उस परिवार और बेटी की आत्मा को शांति देने जैसे कृत्य है यह सच्ची संवेदनाएं है या बहरूप है वोटों का हर हादसा तमाशा क्यों बनाया जाता है और इंसानियत लावारिस दफन होजाती है तब ये भीड़ दूर दूर तक नही दिखाई देती है,तब इस तरह के राजनीतिक जमाबडे़ न मानवता मे आते है न अधिकारों मे यह स्वार्थनीति है समाज नीति नहीं।