ज़िंदगी!
उन्हीं की मुस्कराती है
जो जग में
मुस्कानों के प्रसाद
बॉटते हैं.

ज़िंदगी!
उन्हीं की मुस्कराती है
जो जग में
मुस्कानों के प्रसाद
बॉटते हैं.

ज़िन्दगी!
उन्हीं की मुस्कुराती है
जो निर्मल मना होते हैं
जग में प्रसन्नता
और
खुशियों की खुश्बू बोते हैं.

ज़िन्दगी!
उन्हीं की मुस्कुराती है
जो उदार
और
असीम प्यार होते हैं.

ज़िंदगी!
उन्हीं की मुस्कुराती है
जिनको वसुधा भाती है
जिनको
वसुधैव कुटुंबकम्
की इबारत !
लिखनी आती है.

ज़िंदगी!
उन्हीं की मुस्कराती है,
जो
अपना ताजमहल
बनवा कर,
सर्जकों के हाथ नहीं काटते.

ज़िन्दगी!
उन्हीं की मुस्कराती है
जो पर धन
एवं
दूसरों की
बहन-बेटियों को
शुभ दृष्टि से निहारते हैं.

ज़िंदगी!
उन्हीं की मुस्कुराती है
जो
ईर्ष्या, द्वेष के
वशीभूत हो,
दूसरों के लिये गड्ढे नहीं खोदते हैं.

ज़िंदगी!
उन्हीं की मुस्कुराती है
जो
निर्मल मन से
सबको अपनाते हैं,
राम,रहीम,कृष्ण-करीम !
ईश्वर, अल्लाह!
सभी को,
शीष झुकाते हैं.

ज़िन्दगी!
उन्हीं की मुस्कुराती है
जो
स्वयं मुस्कुराते हैं
और
सामने वाले को
मुस्कुराते देख
आनंदोत्सव मनाते हैं.
::::: डॉ.. श्रीकृष्ण ‘शरद’:::::

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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