
रानी अवंतीबाई लोधी संस्थानों के नाम रखते हो तो उनकी प्रतिष्ठा भी बनाये रखो!
कुछ वर्षों से स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निर्वाह करने वाली वीरांगना रानी अवंतीबाई के सजातीय सांसद, विधायक और क्षेत्रीय जनता सरकार द्वारा कोई भी कार्य कराया जा रहा हो उनकी यह कोशिश रहती है कि उसका नामकरण सिर्फ वीरांगना अवंतीबाई के नाम से ही होना चाहिए। इस कार्य में वे कुछ मामलों में सफल भी रहे हैं। हमें उनका प्रयास सराहनीय लगता है कि वे, हमारे बचपन के समय में प्राइमरी स्कूल में कराई जाने वाली प्रार्थना (वह शक्ति हमें दो दयानिधे कर्तव्य मार्ग पर डट जावें, परसेवा पर उपकार में हम निज जीवन सफल बना जावें।…जिस देश जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जावें) से सबक लेकर अपने सजातीय महापुरूषों के नाम को बुलन्दियों तक पहुंचा रहे हैं। इसी भावना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 कल्याण सिंह ने एटा में अवंतीबाई वन चेतना केन्द्र की स्थापना कराई। वन चेतना केन्द्र बनाये जाने का उद्देश्य अच्छा था यहां अनेकों प्रकार के वन्य जीवों को रखा गया। वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की बड़ी प्रतिमा भी लगाई गई। यह वन चेतना केन्द्र इतना रमणीक स्थल बन गया कि कुछ वर्षों तक शहर के लोग बच्चों को यहां ले जाकर सैर-सपाटा और मनोरंजन भी कराते थे। लेकिन कुछ वर्षों बाद किसी भी भाजपा नेता को इसके रखरखाव की चिंता ही नहीं रही। यहां तक कि वन चेतना केन्द्र के संस्थापक और उद्घाटन कर्ता माननीय कल्याण सिंह जी के सुपुत्र कई वर्षों से एटा में अपना सांकेतिक निवास भी बना चुके हैं और दो बार एटा संसदीय सीट से सांसद भी चुने जा चुके हैं। इतना ही नहीं अखिल भारतीय लोधी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का निवास भी एटा मुख्यालय पर है। लेकिन पूर्व में जनपद के बने इस लघु पर्यटन स्थल की किसी को चिंता नहीं है।
अभी हाल ही में सांसद महोदय के प्रयास से राजकीय मेडिकल कालेज एटा का नाम रानी अवंतीबाई लोधी के नाम पर रखा गया। बताया गया है कि इस कालेज को जमीन का दान विप्र बंधुओं ने किया था और तत्कालीन कलेक्टर अमित किशोर के साथ यह करार किया गया था कि इस मेडिकल कालेज का नाम पं0 दीनदयाल के नाम पर रखा जायेगा। नामकरण का विवाद बढ़ा तो राजकीय मेडिकल कालेज कर दिया गया लेकिन एटा सांसद राजवीर सिंह की सिफारिश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजकीय मेडिकल कालेज के नाम को बदलकर रानी अवंतीबाई लोधी स्वशासी मेडिकल कालेज एटा कर दिया। नामकरण तो करा दिया यह प्रयास भी सराहनीय कहा जा सकता है लेकिन रानी अवंतीबाई लोधी स्वशासी मेडिकल कालेज एटा का हश्र भी रानी अवंतीबाई वन चेतना केन्द्र के समान ही होने लगा है। लगभग डेढ़ करोड़़ रूपये प्रतिमाह वेतन लेने वाले वरिष्ठ रोग विशेषज्ञ अस्पताल में आते ही नहीं हैं। समाचार पत्रों ने जिस प्रकार वन चेतना केन्द्र की दुर्दशा को लेकर समाचार प्रकाशित किये थे उसी प्रकार इस मेडिकल कालेज की अव्यवस्थाओं को लेकर भी जब तब समाचार प्रकाशित किये हैं लेकिन आज के इस दौर में आलोचनाओं का कोई महत्व ही नहीं है। क्योंकि नामकरण कर राजनीतिक लोग सिर्फ अपना वोट बैंक साधते हैं। सरकारी संस्थान जिसका नामकरण कराने को वे अपनी प्राण प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेते हैं फिर उसे ही देखने की उन्हें इतनी फुर्सत नहीं कि वह कैसा कार्य कर रहा है? कहीं वह सरकारी संस्थान उस महापुरूष के नाम और प्रतिष्ठा को क्षति तो नहीं पहुंचा रहा है? जनता से टैक्स के रूप में लिया गया पैसा इन योजनाओं में लगाकर बर्बाद कर दिया जाता है। जिस महान उद्देश्य को लेकर मेडिकल कालेज की स्थापना की गई थी वह उद्देश्य यहां के अधिकारियों के कारण धूल धूसरित हो गया है। जनता को भी कोई लाभ नहीं मिल रहा। अब रानी अवंतीबाई लोधी स्वशासी मेडिकल कालेज तो जनपद में है लेकिन जब वरिष्ठ डाॅक्टर इस मेडिकल कालेज में आयेंगे ही नहीं तो जनता को क्या लाभ मिलेगा? उसे तो आज भी इलाज के लिए आगरा, अलीगढ़ और दिल्ली भागना पड़ रहा है। एटा जनपद के सांसद और विधायकों को चाहिए कि वे रानी अवंतीबाई लोधी स्वशासी मेडिकल कालेज के अधिकारियों के बिगड़ते कार्य कलापों पर अंकुश लगायें ताकि इस जनपद की जनता को मेडिकल कालेज में शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधायें सहज प्राप्त हो सकें और मेडिकल कालेज का नाम प्रदेश की अग्रणी स्वास्थ्य संस्थानों में चर्चित हो सके तभी जनपद में मेडिकल कालेज का होना सार्थक हो सकेगा।