
क्या कहें पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम है
छात्रा की मौत पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
अधूरी रिपोर्ट लेने से इनकार
नवोदय विद्यालय भोगांव का है मामला
कक्षा 11 की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हुई थी संदिग्ध मौत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी में छात्रा की मौत के मामले में पेश अधूरी रिपोर्ट लेने से इनकार कर दिया और कहा कि पूरी रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने वर्ष 2020 में मृत छात्रा की मां की तरफ से सीबीआई जांच की मांग में दाखिल याचिका की जानकारी न देने पर नाराजगी जताई और दोनों याचिकाओं को सुनवाई के लिए दो दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य नष्ट होने दिया गया। क्या कहें पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि अब तक हत्या के साक्ष्य नहीं मिले हैं। एसआईटी ने हर संभव पहलू पर विचार किया। छात्रा ने आत्महत्या की है, जिसकी पारिवारिक वजह हो सकती है। सरकार की तरफ से बताया गया कि 277 संदिग्धों की डीएनए जांच में अपराधी का पता नहीं चल सका है। रिपोर्ट दोबारा चेक की जा रही है।
कोर्ट ने कहा कि छात्रा की मौत की सूचना परिजनों को क्यों नहीं दी गई। इस पर राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि मां को फोन किया गया था लेकिन उसने नहीं उठाया। छात्रा को फंदे से उतारकर सुबह सवा छह बजे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन तब तक मौत हो चुकी थी। 11:10 बजे पुलिस को सूचना दी गई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को सूचना देने में पांच घंटे क्यों लगे। इस पर कहा कि लोकल पुलिस ने लापरवाही बरती।
कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता चतुर्वेदी से पूछा कि वह किसकी तरफ से वकील हैं। जवाब में बताया गया कि पहले एसआईटी की तरफ से थे, अब राज्य सरकार की ओर से हैं। कोर्ट ने कहा कि दो साल बीत गए, नामजद आरोपी गिरफ्तार नहीं किए गए। क्या सरकार ऐसा डाटा दे सकती है जिनमें नामजद हत्या का मुकदमा हो और उनमें गिरफ्तारी किए बगैर जांच की जा रही हो। इस पर गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि यदि कोर्ट कहे तो छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह पुलिस का काम है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि घटना से पहले मृत छात्रा ने मां से शिकायत की थी। प्रधानाचार्या ने मां से मिलने से इनकार कर दिया। बेटी ने मां को पिता के साथ आने को कहा। मृतका के कपड़े पर सीमेन मिला है। पंचनामा में शरीर पर चोट है। लाश भी परिवार को नहीं दी गई। दोबारा पोस्टमार्टम नहीं कराया। सरकारी वकील ने कहा कि मां से पूछताछ की तो चक्कर का बहाना बनाया। तीन डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया, जिसका परीक्षण एम्स के डॉक्टरों से कराया गया है।लाश मां को सौंपी गई। याची ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में पुलिस ने लाश गंगा में बहा दी। अंतिम संस्कार नहीं किया गया।