पीएम मोदी सीएम योगी की ड्रीम उपलब्धि एटा मेडिकल कालेज शुरुआती दौर भृष्टाचार के
चंगुल में..!
*डेढ़ करोड़ प्रतिमाह लेने बाला एक्सपर्ट डॉक्टरों का समूह नदारद
*मेडिकल कालेज बेस हॉस्पिटल अपने पुराने डॉक्टरों के भरोसे
*सिर्फ जूनियर डॉक्टरों की चहलकदमी करा रही है मेडिकल कालेज का एहसास
*डेंगू एक्सपर्ट के रूप में आये चर्चित एचओडी डॉ कौशल बने ठेकेदारों सप्लायर्स के बीच की कमीशनखोरी की लाइजनिंग अथॉरिटी
*मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल पर उठने लगी हैं उंगलियां आखिर किसकी शह पर क्यो नही आते तैनात बड़े डॉक्टर *मीडिया ग्रुप का सनसनीखेज खुलासा*

एटा। “बड़ा नाम सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो कतरा-ए-खू भी न निकला” यह मशहूर शेर इन दिनों सफेद हाथी का रूप अख्तियार कर चुके एटा के नव निर्मित स्वशासी रानी अवंती बाई लोधी मेडिकल कालेज के मौजूं हालातो पर सटीक बैठता है। अभी पिछले महीने 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी के 9 मेडिकल कालेज का वर्चुअल लोकार्पण किया था। उक्त लोकार्पण के बाद एटा सहित समीपवती कई जिलों में आम जनमानस के सपनो को तो पंख लग गए क्योकि एक बहुत बड़ी उपलब्धि के साथ छोटे बड़े रोगों के इलाज के लिये मुक्कमल मॉर्डन टेक्निक के इलाज उम्मीदे जग गई। परन्तु डेंगू के प्रकोप से महामारी के हलतातो के चलते मेडिकल कालेज के बेस हॉस्पिटल्स में जो बदइंतजामी का मंजर देखने को मिला उसने तो जन आकांक्षाओं पर पानी ही फेर दिया। एक्सपर्ट डॉक्टर प्रोफेसर, एसआर एचओडी जो बड़े बड़े शहरों से बुला कर नियुक्त किये गए उनकी सेवाएं ही नही मिली अपितु किसी ने दर्शन ही नही किये। जबकि सूत्र बताते हैं मेडिकल कालेज की मान्यता से पूर्व 24 सीनियर रेजिडेंट, 46 प्रोफेसर असिटेंट प्रोफेसर, 48 जूनियर डॉक्टर पहले ही तैनात कर लिये जिसमे एक डेंगू एक्सपर्ट के रूप में मौजूद है जिन्हें बताते हैं एनएमसी के विजिट के परपज से जरूरी ओपचारिताओ के लिये भेजा गया था। परन्तु डेंगू के प्रकोप के दौरान इनकी सेवाएं ही नही दिखी सूत्रों के हवाले से पता चला है डॉक्टर सुनील कौशल नामधारी उक्त विशेज्ञ सप्लायर्स फर्मो एवं मेडिकल कालेज की कांट्रेक्टर आदि से कमीशनखोरी तय करने के काम मे मेडिकल कालेज में जुटे रहते है। एक तरह से मेडिकल कालेज की प्रशासनिक अथॉरिटी की लाइजनिंग का कारोबार शुद्ध अखबारी भाषा मे कहें तो अपरोक्ष दलाली तय करने बाली अथॉरिटी बन गये है। इधर सर्वाधिक इफेटिव रोल सिर्फ जूनियर डॉक्टर्स का ही दिखा जो एटा जिला चिकित्सालय एव महिला अस्पताल की एमसीएच विंग जो फिलहाल मेडिकल कालेज के बेस हॉस्पिटल है इनकी मौजूदगी दिखाई देती थोड़ी बहुत गायनिक विभाग सक्रिय नजर आता है। नामी गिरामी डॉक्टरों के बड़े समूह के बाद मरीज जनता दर दर की ठोकरे खा रही है वजह साफ है गेटिंग सेटिंग के अवैध खेल के चलते विशेज्ञ डॉक्टर ही नदारद हैं। तो सुविधाओं का अभाव तो होगा ही।सूत्रों के हवाले से बताया गया है मेडिकल कालेज में दलाल सिंडिकेट पनप गया जिसके सर्वेसर्वा यही डॉ कौशल हैं जो सेटिंग करा कर निर्धारित कमीशन तय करके तमाम वरिष्ठ चिकित्सा अथॉरिटी को छूट एवं मनमर्जी करने दे रहे हैं। सूत्रों ने अनेको वरिष्ठ चिकित्सको की वस्तुस्थित बताते हुये कहा है मेडिसन विभाग के एचओडी डॉ रामेश्वर दयाल है जो महज एक दो बार देखे गए है आगरा में जमी जमाई अपनी प्रेक्टिस कर रहे हैं।सर्जरी के एचओडी डॉ यादव नही आते यह भी हाथरस में अपने स्थापित नर्सिंग होम चला रहे हैं। एनिथिसिया हेड डॉ ऋतु जैन अलीगढ़ में अपने निजी संस्थान में सेवा देने में रुचि रखती हैं और आएं भी क्यो कोई सर्जरी तो हो नही रही। स्किन स्पेशलिस्ट डॉ हरप्रीत कौर आगरा के कमला नगर में प्रेक्टिस कर रही हैं। एटा के अस्पतालों में सेवा देते नही देखा जा रहा। डॉ सत्यम गुप्ता नेत्र रोग हेड हैं परन्तु यह महीने में एकाध बार आकर खानापूर्ति कर रहे हैं। यह बरेली में अपना चिकित्सा कारोबार चला रहे हैं। पैथोलॉजी विभाग के डॉ योगेंद्र मेडिकल कालेज परिसर में कभी कभार आकर अपनी दायित्व पूर्ति कर रहें है। यह सिकन्दराराऊ में अपनी लैब चला रहे हैं। एनिथिसिया के डॉ अग्रवाल अभी तक देखे ही नही गई यह अगरा में प्रेक्टिस में सलग्न हैं। इतना भारी भरकम विशेज्ञों के रहते मेडिकल कालेज का फेस दिन ब दिन बिगड़ रहा है हैरत की बात है जिन डॉक्टरों एचओडी एसआर आदि पर लगभग प्रतिमाह डेड करोड़ रुपया वेतन पर खर्च किया जा रहा है वो पूरा नेटवर्क किसकी शह पर मौज मार रहा है साफ़ जाहिर विभागाध्यक्ष प्रिंसपल डॉ राजेश गुप्ता है उन्हें जबाब देना होगा। मेडिकल कालेज के प्रिंसपल की अनदेखी आखिर क्यों है सवाल सबसे बड़ा सवाल है. .! इस सम्बंध में मीडिया टीम प्रमुख ने जब प्रिंसपल के मोबाइल पर पक्ष जानना चाहा तो कॉल नही उठाई गई।
बरहाल मेडिकल कालेज को लेकर जो उम्मीदें जनता ने लगाई वह अपने प्रारम्भिक काल मे भृष्टाचार जनित प्रबन्धों के कारण दम तोड़ने लगी है।
प्रबुद्ध जनों का मानना है यदि महामारी एवं जानलेवा डेंगू के भयंकर प्रकोप के दौर में मेडिकल कालेज अपने उपलब्ध चिकित्सकीय सेवाएं तक नही जुटा सका तो प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री की इस टॉवरी उपलब्धि का क्या मतलब है.? भृष्टाचार के दुर्गुण के प्रकोप से धीरे धीरे ग्रसित हो रहा मेडिकल कालेज कहीं भ्र्ष्टाचार का अड्डा न बन जाये इस पर जन प्रतिनिधियों एवं मीडिया को पैनी नजर रखनी होगी।