रहस्ययमी अटेर किले का पुरानी पठ कथाओं और महाभारत काल में भी उल्लेख.!!

विश्व का अनोखा अटेर का किला: 350 वर्ष पुराना किला जिसके दरवाजे से आज भी टपकता खून
!!.बुंदेलखंड व चंबल की वीर भूमि वीरों की जननी रहस्ययमी अटेर किले का पुरानी पठ कथाओं और महाभारत काल में भी उल्लेख.!!

बुंदेलखंड और चंबल की वीर भूमि वीरों की जननी रही है, आज हम आपकों बताने जा रहे है ऐसे किले के बारे में जो अब तक रहस्ययमी रहा है। जिसके बारे में न तो आज तक आपने सुना होगा और न ही विश्व में देखा होगा। दुनिया से अनदेखा इस किले के बारे में हाल में शोधकर्ताओं ने इसके रहस्य को जाना है। किले का जिक्र पुरानी कथाओं में तो था ही।जानकारी से पता चला है कि यह किला 350 साल पुराना है। जिसका जिक्र महाभारत के समय में भी हुआ है।
इस किले से कई किवदंतियां जुड़ी हुई है जिसमें सोने व चांदी से भरे खाजाने के साथ ही हानियां तिलिस्म की और खजाने के कई रहस्य भी जुड़े हुए हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं चंबल के बीहड़ों के बीच 350 साल पुराना अटेर के किले की। किला जहां सदियों तक भदावर राजाओं ने शासन किया। इसी वंश के साथ रहस्य जुड़ा हुआ है जो अटेर के किले को और भी खास बनाता है। साथ ही इस किले से कई किवदंतियां जुड़ी हुई हैं।
महाभारत में है इस दुर्ग का जिक्र
अटेर का किले की सैकड़ों किवदंती, कई सौ किस्सों और न जाने कितने ही रहस्य को छुपाए हुए चुपचाप सा खड़ा दिखाई देता है। जैसे मानो अभी उसके गर्त में और भी रहस्य हों। महाभारत में जिस देवगिरि पहाड़ी का उल्लेख आता है यह किला उसी पहाड़ी पर स्थित है। इसका मूल नाम देवगिरि दुर्ग है। इस लिहाज से यह किला और भी खास हो जाता है।
खूनी दरवाजे से हर वक्त टपकता है खून
किले में सबसे चर्चित है यहां का खूनी दरवाजा। आज भी इस दरवाजे को लेकर किवदंतिया जिले भर में प्रचलित है। खूनी दरवाजे का रंग भी लाल है। इस पर ऊपर वह स्थान आज भी चिन्हित है, जहां से खून टपकता है। इतिहासकार और स्थानीय लोग बताते है कि दरवाजे के ऊपर भेड़ का सिर काटकर रखा जाता था। भदावर राजा लाल पत्थर से बने दरवाजे के ऊपर भेड़ का सिर काटकर रख देते थे,दरवाजे के नीचे एक कटोरा रख दिया जाता था।
खजाने के लालच ने बर्बाद किया इतिहास
चंबल नदी के किनारे बना अटेर दुर्ग के तलघरों को स्थानीय लोगों ने खजाने के चाह मे खोद दिया। अटेर के रहवासी बताते हैं कि दुर्ग के इतिहास को स्थानीय लोगों ने ही खोद दिया है। इस दुर्ग की दीवारों और जमीन को खजाने की चाह में सैकड़ों लोगों ने खोदा है, जिसकी वजह से दुर्ग की इमारत जर्जर हो गई है l
भदौरिया शासक ने बनवाया ये रहस्मयी किला
अटेर के किले का निर्माण भदौरिया राजा बदनसिंह ने 1664 ईस्वी में शुरू करवाया था। भदौरिया राजाओं के नाम पर ही भिंड क्षेत्र को पहले “बधवार” कहा जाता था। गहरी चंबल नदी की घाटी में स्थित यह किला भिंड जिले से 35 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। चंबल नदी के किनारे बना यह दुर्ग भदावर राजाओं के गौरवशाली इतिहास की कहानी बयां करता है। भदावर राजाओं के इतिहास में इस किले का बहुत महत्व है। यह हिन्दू और मुग़ल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है।
इस बर्तन में खून की बूंदें टपकती रहती थी। गुप्तचर बर्तन में रखे खून से तिलक करके ही राजा से मिलने जाते थे,उसके बाद वह राजपाठ और दुश्मनों से जुड़ी अहम सूचनाएं राजा को देते थे। आम आदमी को किले के दरवाजे से बहने वाले खून के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी। जिससे वह आज भी अनजान बने हुए है।

About The Author

निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपडेट खबर के लिए इनेबल करें OK No thanks