धनतेरस पूजन के साथ मनाया गया आयुर्वेद दिवस

धनतेरस पूजन के साथ मनाया गया आयुर्वेद दिवस

एटा,

धनतेरस का दिन भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। वह धन के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा के देवता भी माने जाते हैं। अतः धनतेरस पर मंगलवार को जनपद में आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने कलेक्ट्रेट सभागार में दीप प्रज्वलित करके आयुर्वेद दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

इस दौरान जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने बताया कि धनवंतरी को हिंदू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार वह भगवान विष्णु के अवतार हैं तथा उनका अवतरण पृथ्वी पर समुद्र मंथन के समय हुआ था। यहीं से आयुर्वेद विज्ञान की शुरुआत हुई। जब इंसान को दवाओं की समझ नहीं थी तब रोगों का उपचार आयुर्वेद के माध्यम से ही किया जाता था और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है इसलिए इसकी महत्ता है। आयुर्वेद के माध्यम से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है यही कारण है कि भारतीयों के बीच काढ़े को बहुत महत्व है। कोरोना वायरस के आने पर भी लोगों को काढ़ा पीने की सलाह दी गई थी। काढ़ा एक आयुर्वेदिक मिश्रण है जिसे विभिन्न जड़ी-बूटियों और मसालों को कुछ मिनट तक पानी में उबालकर बनाया जाता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने का भी काम करता है।

कार्यक्रम के दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार सिंह 9ने बताया कि इस वर्ष आयुर्वेद दिवस की थीम ‘पोषण हेतु आयुर्वेद’ निर्धारित की गई है। धनतेरस के दिन भगवान धनतेरस का पूजन किया जाता है। जो कि आयुर्वेद के प्रवर्तक है। आयुर्वेदिक दवाएं शारीरिक शक्ति वर्धन, प्रतिरोधक क्षमता वर्धन व मानसिक स्वास्थ्य वर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। शारीरिक व मस्तिष्क स्वस्थ के लिए आयुर्वेद को अपनाकर हम कुपोषण को भगा सकते हैं। जब माता रोगों से मुक्त रहेगी तो शिशु स्वस्थ होगा। और हम कुपोषण से बच सकेंगे। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद दिवस के दौरान सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया गया।

क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ रवींद्र कुमार ने बताया कि आयुर्वेदिक दवाई इम्यूनिटी को बढ़ाती है व बीमारी को जड़ से खत्म करने में सहायक होती है। जनपद में सभी ब्लॉकों में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी मौजूद है। जनपद में कुल 15 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी इस समय चलाई जा रही है। तथा डिस्पेंसरी के माध्यम से सभी दवाएं बिल्कुल मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है। आयुर्वेदिक दवाएं पहले शरीर की उन कमजोरियों को दूर करती हैं जिसके कारण आपको कोई हेल्थ प्रॉब्लम हुई है। आयुर्वेदिक दवाएं प्राकृतिक संसाधन से बनती हैं। इसलिए इसके रिएक्शन और साइड इफेक्ट्स भी काफी कम होते हैं। इसलिए हमें एलोपेथी के बजाय आयुर्वेदिक दवाओं को अपनाना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल, मुख्य विकास अधिकारी डॉ अवधेश कुमार बाजपेई, जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार सिंह,क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ रविंद्र कुमार, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ बृजेश कुमार, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ भूपेंद्र सिंह, सीडीपीओ मारहरा संध्या चौहान, सीडीपीओ निधौली कलां रेनू बाघम, सीडीपीओ शीतलपुर कालिंद्री देवी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रियंका, सुनीता, आरती, शीला आदि मौजूद रहे।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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