भाजपा किसान सम्मान समारोह में हुआ बवाल!

जनपद बस्ती।

भाजपा किसान सम्मान समारोह में हुआ बवाल!

गाली गलौज, धक्का-मुक्की, धर पकड़ ,आरोप-प्रत्यारोप आदि आदि।
मंच से सारे माननीय और सम्मान पसंद लोग,
बेइज्जत करके हटा दिए गए।
थोड़ी बहुत कशमकश के बाद भाजपाई चले गए ….!
और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर ,वहां अकेले रह गई! उनकी आत्मा को अपार दुख हुआ होगा
1 वर्ष के लगभग से चलता हुआ किसान आंदोलन ,
दिल्ली बॉर्डर से चलकर,
गांव गली, कूचे और आंगन तक आ पहुंचा।
समझना चाहें तो आक्रोशित भीड़ से अंदाजा लगा सकते हैं!
आक्रामकता के रंग में आने लगा है किसान आंदोलन।
हम चर्चा करते हैं अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान की!
दोनों उसी मिट्टी से पैदा हुए।
दोनों उस सरजमी को अपना मानते हैं,
बस तौर तरीके अलग-अलग हैं!
जरूरतें अलग-अलग हैं ।
लाखों की तादात में ….
जब भारत का किसान धरने पर बैठा है ।
पान कूंचकर वे कहते हैं,
अरे वह किसान नहीं खालिस्तानी है।
पाकिस्तान परस्त हैं ,
विदेशी की फंडिंग से कांग्रेस के इशारे पर बवाल कर रहे हैं ।
जब भारत का विद्यार्थी धरने पर बैठे तो वह विद्यार्थी नहीं ,
गुंडे मवाली हैं।
शाहीन बाग में एन.आर.सी. और कैग के ख़िलाफ़ धरने पर बैठने वाले लोग,
आतंकवादी और पाकिस्तान परस्त लोग हैं ।
इतने नाम कहां से ढूंढ कर लाते हैं? जब आप नया नामकरण कर देते हैं, तो क्या इस तरीके की बयानबाजी से समस्या का समाधान हो जाता है ?
जबकि आपकी इन हरकतों की वजह से ,
खरगोश के कोमल हाथों में, शेर के पंजे निकल आ रहे हैं।

देश गर्म होता जा रहा है ।
महंगाई से आम आदमी कराह रहा है। बेरोजगारी सिर पर चढ़कर बोल रही है ।
जगह-जगह बदहाली और भ्रष्टाचार का आलम है ।
और जब आप कहते हैं ,
चलो बूथ की ओर, और एक बार फिर…..
सोच कर ही आम आदमी की पागल हो जाने की नौबत आ रही है ।
प्रबुद्ध वर्ग का सम्मेलन सचमुच कोई प्रबुद्ध उस सम्मेलन को कैसे संयोजित करें!
अपने आप में सवाल है ।
भारत दुर्दशा केवल लोगों ने पढ़ा था, देखने का अवसर अब आज़ आया है….
ऐसे विचार हैं समाजसेवी राजेश कुमार के…
जिन्होंने एक चाय पार्टी के दौरान अपने विचार व्यक्त किए।
बस्ती जनपद के साऊ घाट ब्लॉक में:
किसानों की हमदर्द भाजपा,
किसान सम्मान समारोह करना चाहती थी ।
किसानों ने ही इसका विरोध किया ।
और भाजपा को किसान विरोधी कहते हुए,
किसानों ने जवानों की तरह:
धरपकड़ हाथापाई और गालियों का प्रदर्शन किया।
प्रस्तुत वीडियो चीख चीख कर कह रहा है….
चलो बूथ की ओर….!
निराशा अब छोड़ो घनघोर!!

डॉक्टर मेला

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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