योगी जी! एटा की लाचार जनता को लाचार मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी कब तक मिलेंगे?

एटा जनपद में भ्रष्टाचार का तांडव अपने चरम पर है हर अधिकारी अपनी मनमानी कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग के काले कारनामों का इस अंक में विशेष उल्लेख किया गया है जिसमें कई वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा लिखे गए और विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों को संकलित कर जनपद में अधिकारियों की मनमानी का ऐसा दर्शन कराया है जिसके कारण स्त्रियां और नवजात बच्चे अकाल मौत मारे जा रहे हैं और अधिकारियों को महीनेदारी मिलने भर से इन मौतों का सिलसिला दिखाई देना बंद हो गया है। ऐसा ही भ्रष्टाचार का नंगानाच एटा नगरपालिका में भी देखा जा रहा है जहां अधिशासी अधिकारी कई वर्षों से यहां सिर्फ इसलिए डटे हुए हैं कि बड़े बजट में बड़ी कमीशन मिलती है। नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी दीप कुमार वाष्र्णेय ने जबसे चार्ज संभाला है पूरा नगर नरक बन चुका है। इनके काम जनता को नहीं दिखाई दे रहे इसीलिए जनता से लेकर सभासदों ने तक इनका विरोध किया है। इनके द्वारा कई मार्गों का निर्माण हो जाने पर भी टेण्डर कराया जाना संदिग्धता की श्रेणी में आता है जिसकी जांच जिलाधिकारी अंकित कुमार कराई गयी जिसमें सभासदों के आरोप सही पाये गये। अभी कुछ दिनों पूर्व ही नगरपालिका 18 सभासदों ने अधिशासी अधिकारी को बर्खास्त किये जाने हेतु जिलाधिकारी कार्यालय के धरना प्रदर्शन स्थल पर अनशन किया था। 31 जुलाई वर्ष 2021 में नगर पालिका परिषद एटा की बोर्ड बैठक आयोजित की गई थी। इस बोर्ड बैठक में पालिका अध्यक्ष की उपस्थिति के दौरान सभासद दिलीप पचैरी उर्फ बिट्टू के अलावा सभासद शबनम बेगम, उमाकांत चतुर्वेदी, कुसुमा देवी, कुलदीप कुमार, शाइस्ता बेगम, रेनू गुप्ता, प्रेमलता, संगीता दिवाकर, साधना पुंडीर, रियाज अहमद, अनुज जैन, मनीष जैन, छोटी देवी, इंद्राज यादव, कांति देवी, फरजाना बेगम, निशा चैहान, हरीश प्रताप आदि 18 सभासदों ने मिनट बुक पर विशेष प्रस्ताव सर्वसम्मति से एटा के अधिशासी अधिकारी डॉ दीप कुमार वाष्र्णेय की बर्खास्तगी को लेकर दर्ज कराया था। अधिशासी अधिकारी दीप कुमार वाष्र्णेय, सभासदों और चेयरमैन के बीच यह संग्राम कई महीनों से चल रहा है जिसकी वजह से एटा नगर में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। गंजडुण्डवारा मार्ग विगत 3 वर्षों से बनने को पड़ा है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। सांसद, विधायक और जिलाधिकारी सभी मूकदर्शक बने हुए हैं। नगरपालिका में संग्राम चल रहा है। यह संग्राम 50 करोड़ रूपये के बजट को लेकर छिड़ा हुआ है। सबको हिस्सेदारी चाहिए, बहुतों को बिना काम कराये लेने की आदत है और सभासदों को यह कमजोरी मालूम है तो उनकी नजर में हिस्सा उनका भी बनता है। नूराकुश्ती सरेआम हो रही है और जिले का नियंत्रण रखने वाले अधिकारी कुश्ती को देखने का आनंद उठा रहे हैं। इस सब में जनता परेशान है। विगत तीन वर्षो में जल निगम सीवर लाइन न बिछा पाने के कारण शहर को नरक बनाये हुए है। नगरपालिका में धन की लूट की आस में विकास कार्यों की बात गौण हो गई है। जिले के विकास के लिए इतने अधिकारी तैनात किये गये हैं लेकिन विकास फिर भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा। शासन ने एक मंत्री को जनपद का प्रभारी भी बनाया है इस समय एटा जनपद के प्रभारी मंत्री श्री अतुल गर्ग जी हैं। प्रभारी मंत्री जी हर माह एटा जनपद में भ्रमण को आते हैं लेकिन हमें यह नहीं दिखाई देता कि उन्होंने एटा जनपद के विकास के लिए क्या प्रयास किये हैं। प्रभारी मंत्री जी आते हैं विभिन्न विभागों का निरीक्षण कर चले जाते हैं समाचार पत्रों में समाचार छप जाते हैं लेकिन उनके आने का मकसद सिर्फ आकर चले जाना है तो फिर उन्हें मंत्री ही बने रहने देना था। आखिर जिला प्रभारी मंत्री बनाकर एटा जनपद की जनता को मूर्ख क्यों बनाया गया? एटा के आईआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र में व्यापार करने के इच्छुक कई भूखण्ड स्वामियों के रजिस्ट्री हो जाने के बाद भी भूखण्डों पर यूपीएसआईडीसी ने कब्जा नहीं दिया और भूखण्डों का मालिकाना हक निरस्त कर दिया। इस समस्या के निस्तारण को मैंने स्वयं विगत वर्ष प्रभारी मंत्री जी को सदर विधायक विपिन वर्मा ‘डेविड’ की उपस्थिति में एक पत्र सौंपा था जिसे शायद मंत्री जी ने रद्दी की टोकरी में फेंक दिया होगा, क्योंकि उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह समस्या एक व्यक्ति या भूखण्ड की नहीं थी लगभग 1 दर्जन लोगों को भूखण्ड निरस्तीकरण से परेशानी हुई है जो आजतक निस्तारित नहीं हुई। यदि भूखण्डों पर कब्जा दे दिए गये होते तो शायद आज वहां व्यापार संचालित हो गये होते। इस समस्या से वर्तमान जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल को भी अवगत कराया गया लेकिन उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिये। आखिर कौन करेगा इन समस्याओं का निदान? कोई जुझारू विधायक होता तो अपने क्षेत्र की इस समस्या को विधानसभा में उठाकर न्याय दिलाता? योगी जी कब तक एटा जनपद की लाचार जनता को लाचार मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारियों की फौज का उपहार देते रहोगे?