तम्बाकू कैंसर का सबसे अहम कारण -ज्ञानेन्द्र रावत

तम्बाक ू निष ेध दिवस 31 मई पर विशेष
तम्बाकू कैंसर का सबस े अहम कारण -ज्ञानेन्द्र रावत


तम्बाकू एक ऐसा जहर ह ै जा े पच्चीस रा ेगा ें आ ैर चालीस तरह के कै ंसर को जन्म देता ह ै। अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की
मानें ता े तम्बाकू के सेवन से इ ंसान जिन रोगा ें का शिकार होता ह ै उनमें कै ंसर, ह ृदय रोग, उच्च रक्तचाप, फेफड ़े आ ैर श्वांस सम्बंधी
रा ेग प ्रमुख है ं। कैंसर में खासता ैर से मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, फेफड ़े का कै ंसर, प ्रा ेस्टेट ग्र ंथि का कैंसर, प ेट का कैंसर और ब ्रेन
ट्यूमर आदि प ्रमुख रूप से शामिल है ं। तम्बाकू सेवन के मामले में बा ंग्लादेश 43.3 फीसदी के साथ पहले, रूस 39.3 फीसदी के साथ
दूसरे, 34.6 फीसदी के साथ भारत तीसरे नम्बर पर ह ै। चीन 28.1 फीसदी क े साथ चैथे स्थान पर ह ै। गा ैरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य
संगठन प ्रतिवर्ष 31 मई को विश्व तम्बाकू रहित दिवस के रूप में मनाता है। वह बरसों से तम्बाकू रहित विकास का नारा दे रहा ह ै।
उसक े अनुसार सभी सरकारों का दायित्व ह ै कि वे धूम्रपान के बढ़ते प ्रचलन का े खासकर बच्चों व नौजवानों पर विश ेष ध्यान दें आ ैर
उन्ह ें हमेशा के लिए इस अभिशाप से मुक्ति दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें। उस दशा में ही हम अपना आ ैर अपने
बच्चा ें का भविष्य सुखी और स्वस्थ रखने में कामयाब हा े सकेंगे। गा ैरतलब ह ै कि ध ूम्रपान की लत जितनी जल्दी शुरू होती ह ै, उसका
दुष्परिणाम उतना ही गंभीर होता ह ै। वयस्क व्यक्ति के नियमित ध ूम्रपान करने के कारण 50 फीसदी अधिक मृत्यु की संभावना रहती ह ै।
इनमें आधे से अधिक तो अधेड़ अवस्था में ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते ह ै ं। ऐसे लोगा ें की उम्र 22 साल कम हो जाती ह ै।
असलियत यह ह ै कि समूची दुनिया में धूम्रपान करने वालों की तादाद एक बिलियन ह ै। इनमें 19 फीसदी वयस्क जिसमें 33
फीसदी पुरुष और 6 फीसदी महिलाएं ह ैं। 80 फीसदी मध्य एवं निम्न आय वर्ग के लोग ह ै ं। 13 से 15 साल के धूम्रपान करने वाले
युवाओं की तादाद 24 मिलियन ह ै जिनमें 13 मिलियन तम्बाकू उत्पाद का प्रयोग करते ह ै ं। तम्बाकू के सेवन से दुनिया में 7 मिलियन
लोग हर साल मौत के मुंह में चले जाते ह ै ं। 20 वीं सदी में धूम्रपान से 100 मिलियन लोगा ें की मौत र्ह ुइ जबकि आशंका है कि 21 वीं
सदी में तकरीब एक बिलियन लोग इसके शिकार होंगे। जहां तक अमेरिका का सवाल है वहा ं 40 मिलियन लोग धूम्रपान करते ह ैं।
इनमें 4.7 मिलियन मध्यम आयु वर्ग यानी र्हाइ स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ह ै ं। वहां धूम्रपान से हर साल मरने वालों की तादाद तकरीब 5
लाख है। हमारे देश में प ्रतिवर्ष 120 मिलियन लोग धूम्रपान करते ह ै ं। हमारे देश में धूम्रपान करने वालों की तादाद समूची दुनिया की
12 फीसदी है। यह जानते -समझते ह ुए कि यह एक बुरी आदत ह ै। तम्बाकू मे ं कै ंसर के 70 रसायन पाये जाते ह ै ं। एक सिगरेट म ें
लगभग 400 रसायन तथा 20 कै ंसर प ैदा करने वाले पदार्थ हा ेते ह ैं। एक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा
ह ृदयरा ेग तथा कैंसर की संभावना 25 से 30 फीसदी अधिक होती ह ै। इसके बावजूद 1998 से लेकर 2016 के बीच देश में तम्बाकू का
सेवन करने वाले लोगा ें की तादाद में 36 फीसदी का इजाफा हुआ। यह जानने के बाद कि तम्बाकू के पौधे से कृषि, मानव स्वास्थ्य
आ ैर पर्या वरण को काफी नुकसान होता ह ै।
ग्ला ेबल एडल्ट टा ेबेको सर्व े की रिपा ेर्ट क े अनुसार भारत की कुल 130 करा ेड़ की आबादी में से 28.6 फीसदी ला ेग तम्बाकू का
सेवन करते है ं। यही नहीं 18.4 फीसदी युवा न सिर्फ तम्बाकू, बल्कि बीड ़ी, ख ैनी, गुटका और अफीम का भी सेवन करते ह ैं। एक अन्य
आकलन के अनुसार देश में तकरीब 15 करोड़ प ुरुष आ ैर 15 साल से अधिक की 7.8 करोड़ से अधिक महिलाएं नियमित रूप से
धूम्रपान की लत की शिकार ह ैं। यही नही 40 लाख के करीब 15 साल से कम उम्र के बालक इस लत के शिकार ह ैं। विश्व स्वास्थ्य
संगठन की मानें ता े देश में मिजा ेरम ए ेसा राज्य ह ै जहां 34.4 फीसदी लोग धूम्रपान करते ह ैं जो प ूरे देश में सबसे ज्यादा है ं। आजकल
नवयुवतियों-कालेज छात्राओं आ ैर महिलाओं में धूम्रपान एक फैशन आ ैर नौजवान पीढ़ी की पहली पसंद ह ुक्का बन गया ह ै। युवाओं मे ं
इसकी लत का बढ़ना खतरनाक संक ेत ह ै। मंुबई, दिल्ली जैसे महानगरा ें में ह ुक्का बारा ें की बढ़ा ेतरी पर सरकारों की चुप्पी समझ से परे
ह ै। हमारे यहां हर साल 85,000 प ुरुषों में आ ैर 34,000 महिलाआ ें में कै ंसर के नए मामले सामने आते ह ैं जिनमें 90 फीसदी से ज्यादा
मामला ें में तम्बाकू का प्रयोग हा ेता ह ै। ध ूम्रपान के कारण महिलाओं में कै ंसर के मामला ें के अलावा मासिक धर्म के कम होने, दर्द होने,
जल्दी बंद हा ेने, विटामिन सी की कमी होने, शरीर पर बाल अधिक होने, चेहरे पर झुर्रियां होने आ ैर उनके दूध में निका ेटिन की मात्रा
बढ़ने की शिकायतें आम होती ह ैं। साथ ही गर्भ वती महिला के धूम्रपान करने से बच्चे के मंदबुद्धि हा ेने, बजन कम हा ेन आ ैर श्वांस नली
में विकार होने की आशंका बनी रहती है।
तम्बाकू 41 फीसदी कैंसर से होने वाली मौतों के लिए तो जिम्मेवार है ही, वह न सिर्फ इसका सेवन करने वालों को बीमार
कर रहा ह ै बल्कि आसपास रहने वाले लोग भी इसकी चप ेट में आ रहे ह ैं। एम्स के सर्जिकल आॅन्का ेलाॅजी डिपार्टमेंट के प ्रा ेफेसर एस
वी एस देव का कहना है कि एम्स में पिछले कई साला ें से ए ेसे रा ेगी आ रह े ह ैं जिनको ये बीमारी उनके आसपड़ा ेस, घर में रहने वाले
लोगा ें से र्ह ुइ । एक 45 वर्षी या महिला का े इसलिए फेफड़े का कै ंसर ह ुआ क्या ेंकि उसका पति बह ुत धूम्रपान करता था आ ैर उसके छा ेटे
से घर में धुआं भरा रहता था, उसकी वजह से उसक े पति का े भी गले का कैंसर ह ुआ। एम्स के ही एक अन्य प ्रोफेसर डा. आलोक
ठक्कर कहते ह ैं कि अब तो ऐसे बच्चों के केस आ रहे ह ैं जो घरवालों के धूम्रपान करने के कारण अस्थमा आ ैर कान की बीमारिया ें के
शिकार हो रहे ह ैं। यही नहीं घरवालों के धूम्रपान या तम्बाकू सेवन के कारण महिलाओं में बच्च ेदानी के कै ंसर के मामला ें में तेजी से
बढ़ा ेतरी हा े रही है। इस बात का ख ुलासा एमजीएम मेडीकल कालेज, जमश ेदप ुर के शा ेध में किया गया ह ै। मेडीकल कालेज की
गायनिक विभाग की प ्रा ेफेसर डा. बनीता सहाय का कहना ह ै कि तम्बाकू के सेवन से प ुरुषों के वीर्य में एचपी वायरस फ ैल जाता है।
एचपी वायरस का े सर्वि क्स यानी बच्चेदानी के मुख के कैंसर का प ्रमुख कारणों में से एक माना जाता ह ै। उनके अनुसार पहले
महिलाओं में ब ्र ेस्ट कै ंसर के मामले अधिक पाये जाते थ े लेकिन अब बीते बरसा ें से बच्चेदानी के मुख के कैंसर के मामले तेजी से बढ़े
ह ैं। देश में ए ेसे मामले दूसरे द ेशा ें की तुलना में अधिक सामने आ रह े है ं। ऐसे मामला ें म ें द ेश में हर आठ मिनट में एक महिला की मा ैत
हो रही है। एम्स की प ्रोफेसर डा. नीरजा बटाला का कहना ह ै कि यदि 45 साल तक की महिलाओं का े एचपीवी का टीका लग जाय
ता े बच्चेदानी क े मुख के कै ंसर से 80 फीसदी तक बचा जा सकता ह ै।
तम्बाकू के सेवन के चलते देश में हर साल एक मिलियन यानी दस लाख लोगा ें की मा ैत हो जाती ह ै। जबकि 2 अक्टूबर
2008 से सार्वजनिक स्थला ें पर ध ूम्रपान करने पर पाब ंदी है। लेकिन शुरू शुरू में ता े इस पाबंदी का कुछ असर दिर्खाइ भी दिया लेकिन
उसक े बाद यह ब ेमानी हो गयी आ ैर लोग ख ुलेआम धूम्रपान करने लग े। यही हाल तम्बाकू नियंत्रण एव ं उद्या ेगा ें की जबावदेही क े लिए
बनी अंर्तराष्ट्र ्ीय संधि ’’फ ्र ेमवर्क कन्व ेंशन आॅन टा ेबेको कन्ट्र ्ा ैल’’ का ह ै। यह दुनिया में पहली ए ेसी संधि ह ै जो कि जन स्वास्थ्य व
उद्या ेगा ें की जबावदेही के लिए बनी ह ै लेकिन इसका े भी प्रभावी ढंग से लागू नही ं किया जा रहा ह ै। विडम्बना यह कि सिगरेट
निर्मा ता कंपनिया ं उपभा ेक्ताआ ें का े ही केन्द्र बिन्दु नहीं बना रहीं बल्कि सरकारी माध्यमों का भी अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रही ह ैं।
अब सवाल यह उठता ह ै कि प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण एव उद्या ेगा ें की जबावदेही के लिए बनी राष्ट्र्ीय और अंर्तराष्ट्र्ीय संधि हा ेने के
बावजूद आखिर इन कंपनिया ें पर प ्रभावकारी नियंत्रण क्या ें नही ं लग पा रहा ह ै। गौरतलब ह ै कि यह उतना आसान नहीं ह ै। कारण
इनका वैश्विक स्तर पर इतना जबरदस्त जाल फ ैला ह ुआ ह ै जिसके चलते केवल संधिया ें से तम्बाकू नियंत्रण की आशा बेमानी है।
जबतक कि हम इनका सही ढंग से पालन नही ं करते आ ैर नीति निर्धा रक ही उनका उल्लंघन ना करें। ए ेसी स्थिति में हम दूसरे से
कैसे अपेक्षा करेंगे कि वह उसका पालन करे। सबसे बड़ी बात यह कि तम्बाकू से हा ेने वाली हर मौत का े रोका जा सकता ह ै यदि
तम्बाकू सेवन पर अंकुश लगे। साथ ही धूम्रपान नियंत्रण में स्वास्थ्य सम्बंधी कार्यों में लगे लोगा ें की भूमिका महत्वपूर्ण हा ेगी क्या ेंकि
उनके द्वारा प ्रस्तुत उदाहरण अधिकांश समाज का े स्वीकार्य होंगे। इस दिवस का यही पाथेय ह ै।
ज्ञानेन्द ्र रावत
वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्या वरणविद्
अध्यक्ष, राष्ट्र्ीय पर्यावरण स ुरक्षा समिति,
ए-326, जीडीए फ्लैट्स, फस्र्ट फ्लोर, मिलन विहार, फेज-2,
अभय खण्ड-3, समीप मदर डेयरी,
इंदिरापुरम्, गाजियाबाद-201010, उ0प्र0
मोबाइल: 9891573982
ई-मेल: तंूंजण्हलंदमदकतं/तमकपििउंपसण्बवउ
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