इलाहाबाद उच्च ने मुकदमे पर लगाई रोक।लापरवाह पुलिस से किया जबाब तलब

इलाहाबाद उच्च ने मुकदमे पर लगाई रोक।लापरवाह पुलिस से किया जबाब तलब।

  1. देवेंद्र कुमार लोधी पर जिला पंचायत चुनाव 2015 में दर्ज हुआ था झूठा मुकदमा।
    2.. सदस्य पद के प्रत्याशी रहे 18 लोगों सहित 14 महिलाओं को बनाया गया था अभियुक्त ।
    एटा वर्ष 2015 में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की सरकार में हुए जिला पंचायत चुनाव में विपक्षी दलों से संबंध प्रत्याशियों के नामांकन के पश्चात जो बवाल और उपद्रव हुआ उसमें पत्रकार देवेंद्र लोधी सहित पुलिस द्वारा 18 प्रत्याशियों पर मुकदमे दर्ज कर उन्हें अपराधी बना दिया गया उच्च न्यायालय में अधिवक्ता पंकज उपाध्याय द्वारा की गई मामले की पेशी के बाद हाईकोर्ट ने संबंधित मुकदमे पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं दर्शन अक्टूबर 2015 में पत्रकार देवेंद्र लोधी ने जिला पंचायत सदस्य पद पर वार्ड संख्या 17 से अपना नामांकन दिया था नामांकन के पश्चात उनके द्वारा चुनाव कार्यालय से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की गई, इसी दौरान कुछ विरोधी अराजक तत्वों ने उपद्रव कर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया ,उपद्रव करने वालों मेंसत्तारूढसमाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। मगर स्थानीय एटापुलिस द्वारा उपद्रवी सपा कार्यकर्ताओं को छोड़कर ,देवेंद्र सहित नामांकन करने बाली 14 महिला प्रत्याशियों के साथ ही 18 लोगों को भी आचार संहिता उल्लंघन के मामले में केस दर्ज कर पाबंद कर दिया। अभियुक्त बनाए गए देवेंद्र लोधी ने बताया कि उन्होंने दूसरे दिन समाचार पत्रों में आचार संहिता की खबर पढ़ते ही उन्होंने अपने निर्दोष होने की बात जिले के वरिष्ठ व प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित में की, लेकिन उक्त मुकदमे के विवेचक ने धरातलीय जांच आधी अधूरी बिना चुनाव आयोग व जिला प्रशासन के लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच कराना उचित नहीं समझा ,और न ही मेरे निर्दोष होने के प्रार्थना पत्रों को विवेचना का हिस्सा बनाया,और मनमाने तरीके से वर्ष 2016 में आधी अधूरी विवेचना पुलिस द्वारा आचार संहिता उल्लंघन के बनाए गए 18 अभियुक्तों में से आठ के खिलाफ चार्जशीट विवेचना प्रचलित लिखते हुए माननीय न्यायालय कर दी। तथा 10 लोगों के खिलाफ विवेचना जारी रखी।यहां बता दें कि पुलिस की लापरवाही का शिकार बने निर्दोष देवेंद्र लोधी ने बताया कि मनमानी के चलते 1 माह के कारावास और ₹100 के अर्थदंड वाले मुकदमे की विवेचना जब लापरवाह विवेचक द्वारा लगभग 5 वर्षों में पूर्व की जाती है ।तो संगीन मुकदमे की विवेचना यह विवेचक कितने दिनों में पूर्ण कर पाते होंगे। उत्तर प्रदेश पुलिस के जिम्मेदार विवेचक की राजन बाबू श्रीवास्तव थाना कोतवाली नगर एटा ने कानून की धज्जियां उड़ाते हुए न्यायालय के सिद्धांतों की अवहेलना करते हुए एक ही मुकदमे में पुनः दूसरी चार्जशीट लगा दी। जिसका न्यायालय में प्रचलित वाद संख्या 73 38/ 2020 दायर हुआ। इसी के खिलाफ निर्दोष तत्कालीन पत्रकार देवेंद्र लोधी ने हाई कोर्ट में दस्तक दी।हाई कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता पंकज कुमार एडवोकेट की दलीलों को सुनकर माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अपना फैसला सुनाया, और दिनांक 2 अगस्त 2021 को स्थगित करते हुए, उत्तर प्रदेश पुलिस को हाईकोर्ट ने जवाब देने के लिए तलब किया है। यहां बहुत दुखद रूप से कहना पड़ रहा है की उत्तर प्रदेश पुलिस के गैर जिम्मेदार तत्कालीन विवेचक श्री राजन बाबू श्रीवास्तव की वजह से एटा के कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ा।जिससे कई एक महत्वपूर्ण कार्य भी रुक गए।निर्दोष देवेन्द्र लोधी ने उत्तर प्रदेश सरकार व उत्तर प्रदेश पुलिस से पुलिस को बड़नामियतका दंश देने वाले उक्त प्रकरण के तत्कालीन विवेचक राजनबाबू श्रीवास्तव के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की है।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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