लकड़ी माफिया बने हरियाली के दुश्मन, जिम्मेदार मौन हरे पेड़ों को काट वाहनों से हो रही दिन रात तस्करी

लकड़ी माफिया बने हरियाली के दुश्मन, जिम्मेदार मौन हरे पेड़ों को काट वाहनों से हो रही दिन रात तस्करी कासगंज | जनपद में बेखौफ तरीके से हरे पेड़ों की हत्या कर हरियाली उजाड़ने का सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा हैं | यहाँ वीहड़ इलाकों के खेत खलियानों में खड़े हरे पेड़ और बागान को काट लकड़ी तस्कर तस्करी के काले कारोबार से चांदी काटने में जुटे हैं | स्थिति कुछ ऐसी हैं कि जनपद के कई थाना क्षेत्रों के वीहड़ इलाकों में जिधर देखो उधर हरे प्रतिबंधित पेड़ों पर आरे और कुल्हाड़े चलते नजर आयेंगे | बाबजूद इलाकाई पुलिस और वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी जैसे जानकार अंजान बनने का ढोंग कर रहे हैं | कारण भले स्पष्ट न हो लेकिन स्थानीय लोगों की दबी जुवान के अनुसार खेल सिर्फ दलाली और कमीशन का ही बताया जाता हैं | खुले तौर पर न सही लेकिन लोगों का दबी जुबान कहना हैं कि लकड़ी कटान के खेल में कई दलाल कमीशनखोर भी सामिल हैं | जिनके माध्यम से इस लकड़ी की तस्करी के खेल को जनपद में बेखोफ तरीके से खेला जा रहा हैं | नतीजा कानून के खौफ से बेखौफ लकड़ी माफिया प्रतिबंधित हरे पेड़ों को कटवा कर उनकी लकड़ी वाहनों में लाद नजदीकी आरा मशीनों तक पहुचाने में कोई डर व संकोच नहीं कर रहे | हालांकि अलग अलग माध्यमों से मिल रही बार बार सूचनाओं पर जब इस तरफ इस समाचार पत्र की टीम ने नजर डाली तो नजारे बेहद ही चौकाने बाले निकल कर सामने आये | टीम द्वारा बीते एक सप्ताह से चलाए जा रहे अपने गुप्त अभियान में जनपद कासगंज के सोरों, ढोलना, सिढपूरा, अमांपुर, सहावर, पटियाली, सिकन्दरपुर वैश्य आदि वो वीहड़ इलाके हैं जहाँ प्रतिबंधित पेड़ों को खुलाआम काट कर ट्रेक्टरों में लाध नजदीकी आरा मशीनों और लकड़ी की टालों तक पहुचाया जाता हैं |

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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