एटा की डीसीपीएम यूनिट के आंकड़ों में स्वास्थ्य विभाग की आशा कर्मी हो गई हैं मालामाल…!
*पर डीसीपीएम की कारस्तानी से जम कर हो रहा है गोलमाल
*पेमेंट के लिये दर दर की ठोकरें खा रही आशाओं तक नही पहुंच रहा सरकारी इंसेटिव
*बीसीपीएम नेट वर्क के जरिये कराई जा रही है
आशाओं से बसूली
- जिला स्तर से आवंटित धनराशि को रोक कर हो रही मनमानी

एटा। स्वास्थ विभाग की डीसीपीएम यूनिट की सहायता से तैयार किये गये आंकड़ो में जिले भर की 1538 आशाओं को चालू वित्तीय वर्ष में लगभग दो करोड़ रुपया विभिन्न इंसेटिव/सहायता के नाम पर बांटा जा चुका है। यह धन राशि अप्रेल 21 से जून 21 तक की है। इस लिहाज से एटा की आशा कर्मी शानदार अंदाज़ में मालामाल हो चुकी है।
परन्तु आंकड़ो की बाजीगरी का खेल खेल रहे इस कार्य के संचालक जिला कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर मु जुबैर हैं जिन्होंने इस यूनिट के ब्लॉक स्तरीय बीसीपीएम बैठा रखे है। जो आशाओं के कार्य का लेखा जोखा रख कर भुगतान निर्गत करते है। परन्तु सूत्र बताते हैं डीसीपीएम के अधीनस्थ बीसीपीएम असल मे अवैध बसूली के माध्यम बन चुके है। प्रायः देखा जाता है आशा कर्मी ब्लॉक स्तरीय इन मैनेजरों के आगे अपना इंसेटिव निर्गत कराने के लिये गुहार लगाती देखी जाती हैं। परन्तु इन ब्लॉक स्तरीय
कर्मियों द्वारा खुलेआम पेशगी मांगी जाती है। यही कारण है जिला स्तर से आवंटित आशाओं की धनराशि पूरी साल लटका कर दी जाती है। बताते है यह खेल जिला कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर जो कि संविदा कर्मी हैं इनकी शह पर चल रहा है।पिछले 10 वर्ष से एटा में तैनात रहते हुए गोलमाल के खेल तमाशे से अकूत सम्पत्ति अर्जित की है। सूत्रों का दावा है यदि इन 10 वर्षों के दौरान अर्जित सम्पत्ति की जांच कराई जाए तो इनकी करतूते स्वतः ही सामने आ जाएंगी।
चूंकि उक्त डीसीपीएम जुबैर साहब जिले भर की आशा नेट वर्क के संचालन करते हुये आशा नोडल अफसर हैं इस लिये मनमर्जी से नही चूकते। चाहे आशा चयन में ट्रेनिग कराने की बात हो या फिर संगिनी चयन के मामले इन 10 वर्षों में जम कर वसूली की गई हैं। अनेक प्रभारी चिकित्सको/ प्रधानों के द्वारा चयनित आशाओं को ट्रेनिग प्रक्रिया में शामिल नही किया गया क्योंकि उन्हें इनके द्वारा भेंट नही दी गई।
पूरे जिले में लगभग 2 दर्जन से अधिक आशाएं इनकी हठधर्मिता के कारण बिना मानदेय और इनसेटिव के काम कर रही हैं।
विभाग को आंकड़ो की बाजीगरी दिखाते हुये डीसीपीएम यूनिट के मैनेजर ने अभी तक जेएसवाई/एमएच में 14 लाख 44 हजार 500 इंसेटिव, परिवार कल्याण में 2 लाख79 हजार 100 का इंसेटिव,चाइल्ड हेल्थ में 18 लाख,79 हजार 300 का, नियमित टीकाकरण में 26 लाख 42 हजार 925 का, रूटीन एक्टविटी में 81लाख 21 हजार 050 का वितरण, ट्रिपिल ए की मीटिंग गतिविधि में 2 लाख 2425 की धनराशि वितरित की गई है। जबकि इस मीटिंग की अंग आंगनबाड़ी को तो एक धेला जिले भर में कहीं नही दिया गया। अन्य इंसेटिव में आशाओं को 9 लाख 64 हजार 950 का वितरण दिखाया है।सर्वाधिक वितरण आशाओं को कोविड इंसेटिव के नाम से किया गया जिसमें 35 लाख 30000हजार की धनराशि वितरित की गई है। जिसकी जिमेदारी सीधे तौर पर डीसीपीएम यूनिट नेट वर्क की है। स्वास्थ विभाग के लेखा सेक्शन के जिम्मेदाए अफसर कहते हैं अभी धनराशि वितरण का उपभोग प्रमाण पत्र अप्राप्त है। ऐसे में देखना होगा आशा कर्मियों का त्रैमासिक बम्पर एमाउंट लाभार्थी आशाओं तक पहुंच है या नही…? सरकारी धन की लटकाउ नीति के कर्ता धर्त्ता डीसीपीएम जुबैर खान की भूमिका की जांच होनी चाहिए। आशा कर्मी खुलेआम कह रही हैं हमारे खातों में इन मदो का पैसा नही पहुंच रहा।
आखिर माजरा क्या है यह मुख्य चिकित्सा अधिकारी महोदय को समझना होगा।यदि समय रहते डीसीपीएम यूनिट के चालाक मैनजर की गतिविधियों पर अंकुश नही लगा तो यह स्वास्थ्य विभाग की सरकारी योजनाओं का बंटाधार कर देंगे।