भाजपा के शोषण से सुरक्षा के लिए एससी एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यकों का गठबंधन जरूरी- महागठबंधन

अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की वोट टुकड़े टुकड़े में टूट न जाए इसके लिए इन वर्गों की सभी पार्टियों को एक मंच पर लाने का काम महागठबंधन कर रहा है। महागठबंधन एक लिखित संविधान पर व्यवस्थित गठबंधन है। जिसमें 42 से अधिक राजनीतिक दल और कई सामाजिक आंदोलन शामिल है। महागठबंधन के घटक भारतीय एकता मंच पार्टी की तरफ से आज क्लिफटन बैंकट हॉल में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद के नाम पर पूरे देश की संपत्ति को अपने चहेते उद्योगपतियों के हाथ में बेचने का काम कर रही है। इससे लोगों की रोजी रोटी का सहारा खत्म हो रहा है। संपत्तियों का निजीकरण करने से आरक्षण का लाभ खत्म होता जा रहा है। निजीकरण करने से महंगाई पर नियंत्रण करने का सरकार का अधिकार खत्म होता जा रहा है। इसीलिए डीजल और पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही है और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। कृषि कानून लागू होगा तो डीजल पेट्रोल की तरह गेहूं, चावल, फल और सब्जियों की कीमतें भी आसमान छुएंगी। लेकिन किसान को कुछ नहीं मिलेगा। कृषि कानूनों से किसान अपनी जमीनों से हाथ धो बैठेंगे। जबरदस्ती थोपी गई नोटबंदी ने और जीएसटी कानून ने छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दिया है। कोरोना की महामारी पर जिस तरह से सरकार ने काम किया उसके कारण लाखों लोगों की जान चली गई। यदि समाज ने अभी भी सावधानी न बरता और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को सत्ता से नहीं हटाया तो आने वाले दिन बहुत भयावह हैं। इसके लिए जरूरी है कि अनुसूचित जाति व जनजातियों, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों की एकजुट ताकत का उपयोग सत्ता परिवर्तन के लिए किया जाय। किन्तु इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा हैं- इन वर्गों के महत्वाकांक्षी नेता। चुनाव आते ही इन वर्गों के नेता सभी चुनाव क्षेत्रों में अपनी अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़ा करके दमन के शिकार इस बहुसंख्यक वर्ग की ताकत को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देंगे। खुद चुनाव हार जाएंगे और भारतीय जनता पार्टी को जीतने का रास्ता साफ कर देंगे। इसीलिए इस बार यह जरूरी है की भाजपा के दमन के शिकार लोग अपनी वोट केवल महागठबंधन के प्रत्याशियों को दें। किसी पार्टी को नहीं। यहां तक कि यदि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी महा गठबंधन में शामिल नहीं होते तो इन पार्टियों को वोट देना भी अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारना होगा। समाजवादी पार्टी का नेतृत्व भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा है और इसीलिए उसकी लगाम भाजपा सरकार के हाथ में है। भाजपा सरकार जब चाहे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी नेतृत्व को जेल भेज सकती हैं। जेल के डर के कारण यह दोनों ही पार्टियां भाजपा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं अपितु नूरा कुश्ती कर रहे हैं। यदि समाजवादी पार्टी की सरकार बन जाती है तो यह सरकार नीतीश कुमार की तरह भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी साबित होगी और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के नए नीतीश कुमार साबित होंगे। यह स्थिति बहुत ख़तरनाक होगी।
यह आयोजन भारत एकता मंच पार्टी के अध्यक्ष श्री सलीम अख्तर द्वारा क्लिफटन बैंकट हॉल मुरादाबाद में किया गया।
विषय- संगोष्ठी का विषय था- एससी एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यकों की एकता का उपाय।
कार्यक्रम का संचालन ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के कार्यकारी अध्यक्ष एडवोकेट वसी अहमद ने किया।