अभिताभ ठाकुर की चीखों पर दौड़ी मीडिया

लखनऊ । पत्रकारों का भले कोई कितना उत्पीड़न व अनदेखी करे लेकिन मुशीबत के समय सिर्फ और सिर्फ पत्रकार ही हैं जो दर्द को समझता हैं । प्रमाण स्वरूप देखें हज़रतगंज कोतवाली के उस बंद कमरे के बाहर जहां से पूर्व वरिष्ठ अधिकारी अमिताभ ठाकुर की चीखे आ रही थी । लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा । पसीजा तो पत्रकारों का, नतीजा आबाजें सुन कर दौड़ पड़े बंद कमरे की ओर ।