
तस्लीमा नसरीन।
आप इस महिला से असहमत हो सकते हैं।
क्योंकि यह बहादुर यथार्थवादी भारतीय उपमहाद्वीप की महानायिका हैं। बंगाल मूल की यह महिला आधुनिक अर्थ में साक्षात शक्ति की अवतार हैं।
इन्होंने इस्लामी राज्यों जैसे बांग्लादेश आदि में अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम लोगों के प्रति होने वाले धार्मिक हिंसा सुनियोजित षड़यंत्र और उनकी महिलाओं बच्चियों का शोषण अपहरण जबरन विवाह आदि पर बहुत बेबाकी से लिखा है। लज्जा पढ़कर आज तालीबान के सुनियोजित आत्याचार को समझ आता है। यह समझ आता है कि किस तरह एक व्यवस्था के रूप दबाव भयादोहन और शोषण अत्याचार को नैतिक सामाजिक धार्मिक औचित्य सदियों से सिद्ध किया जा रहा है।
धर्म के आधार पर महिलाओं पर अत्याचार और उसका सामाजिक नैतिक औचित्य के विरोध आवाज उठाया।
दुर्भाग्य यह है कि ऐसी साहसी महिलाओं को महिला अधिकार संगठन मंच पर लोकप्रियता और स्वीकार्यता क्यूं नही मिल सकी।
सत्य तो सत्य है आज नहीं तो कल नजर आ ही जाता है।
आज तालिबान विचारधारा अफगानिस्तान में जिस तरह से अल्पसंख्यक महिला बच्चों लोगों का मानवा अधिकार हनन हो रहा उसमें तालीबानी जहर के खतरे को नसरीन जी के नजर से यथार्थ अनुभूति कर सकते हैं।
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ तस्लीमा जी।