रुस व चीन ने तालिबान को फ़िलहाल मान्यता देने से मना किया

भारत की रणनीति काम आ रही है रूस और चीन की तालिबान नीति भारत की विश्व स्तरिये नीति पर दोनों देश क्लीन बोल्ड हो गये हैं.
दोनो देशो के बड़े नेता तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं
इस स्टैंड पर चीन और रूस दुनिया के पटल पर अकेले ना पड़ जाये इसलिये तालिबान के साथ जाने का कोई फ़ैसला नहीं है.
नरेन्द्र मोदी के आतंकवाद के खिलाफ आव्हान पर दुनिया एक ही पाले में आने वाली है क्यूकि भारत ने भी कल अमेरिका को साफ़ शब्दो मे कहा है कि अमेरिका आतंकवाद पर अपना रुख साफ़ करे.जिससे भारत भी अपने फ़ैसले स्वतन्त्र रुप से ले सके. इन्ही चर्चाओ को ध्यान मे रख कर अमेरिका ने अगले सप्ताह तक अपनी स्थिति को साफ़ करने का समय लिया है.
निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बडा फ़ैसला आने वाला है जिसे अमेरिका की CIA खुफ़िया एजेन्सी द्वारा लगभग भारत के फ़ैसले की इनपुट अमेरिका के सीनेट तक दे दी होगी.
पाकिस्तान एक बार फ़िर अमेरिका के अगले सप्ताह के रुख पर टिकेगा.क्यूकि पाकिस्तान को भलीभाति पता है कि तालिबान के साथ मेरे खड़े होने से तालिबान सभ्य सन्घठन साबित नहीं होगा.यही खेल दुनिया को समझ मे नहीं आयेगा कि भारत ने आखिर क्या रुख अपनाया है.
खेर भारत को देखने का दुनिया का नजरिया तो बदलेगा ही साथ ही भारत की अब नजर खुफ़िया तन्त्र की प्रणाली को भी दुरुस्थ करने का मौका मिल गया है.