जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान व सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े की हुई शुरुआत –
एटा,02 अगस्त 2021।

बच्चों में कुपोषण व एनीमिया के कई कारण हो सकते हैं जिसमें एक कारण पेट में कीड़े होना भी है।जिससे बचाव व जागरूकता के लिए जिले में 2 अगस्त से 11 अगस्त तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान व शिशु में डायरिया से बचाव के लिए 2 अगस्त से 14 अगस्त तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है।जनपद में सोमवार को जिला महिला चिकित्सालय पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी द्वारा फीता काटकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस व सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े की शुरुआत की गई।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पेट के कीड़े मारने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाने के लिए अभियान की शुरुआत की गई है। यह अभियान 2 अगस्त से 11 अगस्त तक चलाया जाएगा। अभियान के तहत 1 वर्ष से 19 वर्ष के 8.51 लाख बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कोरोना के कारण अभियान के दौरान आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा वितरित करेंगी। यह दवा आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के सामने ही बच्चों को खिलाई जाएगी।किसी भी अभिभावक को यह दवा रखने या बाद में खिलाने के लिए नहीं दी जाएगी। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बच्चों ने यह दवा खाई है।
आरकेएसके कंसलटेंट अर्चना देवी बताती हैं कि 1 से 2 वर्ष के बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा आधी व 2 से 19 वर्ष के बच्चों को यह दवा पूरी खिलाई जानी चाहिए। ज्यादा छोटे बच्चों को टेबलेट चुरा कर पानी के साथ व बड़े बच्चों को यह दवा चबाकर खानी चाहिए। दवा खाने के बाद यदि उल्टी ,थकान या चक्कर आने जैसा महसूस हो तो घबराने की जरूरत नहीं है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब सही हो जाता है।
डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि 2 अगस्त से ही सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े की शुरूआत भी की गई है। पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य दस्त से होने वाली शिशु मृत्यु दर में कमी लाना व शिशु को किस प्रकार डायरिया से बचाया जा सकता है यह जानकारी लोगों तक पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि अक्सर बारिश के मौसम में डायरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। डायरिया के कारण डिहाईड्रेशन होने से शिशु की मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए अभियान के दौरान आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट् यानी ओआरएस घोल की जानकारी घर घर जाकर लोगों को दी जाएगी। साथ ही प्रति घर प्रति बच्चे के आधार पर 1 -1 पैकेट ओ.आर.एस वितरित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि दस्त होने 90 प्रतिशत बच्चों में ओ.आर.एस घोल द्वारा दस्त ठीक हो जाते हैं। परंतु 10 प्रतिशत बच्चों में दस्त से बचाने के लिए जिंक की टेबलेट की जरूरत होती है। यह दवा सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं।शासन द्वारा कुल जनसंख्या के 13 प्रतिशत यानी 2.30 लाख बच्चों को सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के अंतर्गत लाभ दिया जाना सुनिश्चित किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी, डिप्टी सीएमओ डॉ अभिनव दुबे,एसीएमओ डॉ सुधीर कुमार, जिला महिला चिकित्सालय अधीक्षक डॉ अशोक कुमार, डीपीएम मो. आरिफ , डीसीपीएम डॉ जुबेर खान, डीआईसी मैनेजर अभिलाख, जिला मातृ स्वास्थ्य सलाहकार ताहिरा अल्वी, आशा कार्यकर्ताएं ,एएनएम आदि मौजूद रहे।