
शिक्षक राजेश हत्याकांड में कानून के चक्रव्यूह में फसी एटा पुलिस, हाई कोर्ट ने किया तलब।
–पीड़िता को न्याय दिलाना ही मुख्य उद्देश्य:-पंकज उपाध्यय एडवोकेट।
एटा,
कोतवाली देहात एटा के थानाध्यक्ष इंद्रेश कुमार के खिलाफ कानून व्यवस्था में लापरवाही बरतने एवं थाने से गायब शराब की गायब 1500 पेटियां के प्रकरण में हाल ही में एफ आई आर दर्ज हो चुकी है। परंतु अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। मुल्जिमान पूर्व थाना अध्यक्ष इंद्रेश कुमार फरार हैं ।अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ हैं। पिछले वर्ष 28-11-2019 को सकतपुर में शिक्षक राजेश की हत्या फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत हत्याकांड की तर्ज पर हुई। इस केस को मलावन थाना पुलिस आत्महत्या का मामला मानकर””पुलिस इन्वेस्टिगेशन फिक्स “”कर दिया। दुखियारी पीड़िता श्रीमती अनीता देवी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज कुमार एडवोकेट हाई कोर्ट ने बताया कि मृतक “”राजेश हत्याकांड”” में मृतक की मां श्रीमती अनीता देवी के आंसुओं का उत्तर प्रदेश पुलिस ,थाना मलावन पुलिस मृतक की मां के आंसुओं के प्रति संवेदनशील नहीं हुई ।तब उन्होंने कई बार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय एटा के यहां फरियाद की, तथा इसके बाद श्रीमान मुख्य दंडाधिकारी महोदय एटा के यहां न्यायालय में फरियाद की, इस पर श्रीमान मुख्य दंडाधिकारी महोदय ने माननीय उच्चतम न्यायालय की रूलिंग में वर्णित तथा निर्देश के आधार पर थानाध्यक्ष थाना मलावन को मय सुसंगत साक्ष्यों की जांच करने का आदेश दिया। परंतु थाना मलावन पुलिस ने तो कानून का बलात्कार तथा न्याय की हत्या करते हुए श्रीमान न्यायालय मुख्य दंडाधिकारी महोदय के आदेश की अवमानना भी की ,जिस पर श्रीमान मुख्य दंडाधिकारी महोदय के द्वारा दंडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी थाना पुलिस मलावन को दी गई। तभी थाना मलावन में तैनात उपनिरीक्षक सुरजीत सिंह द्वारा श्रीमान मुख्य दंडाधिकारी महोदय के आदेश की अवमानना करते हुए जांच आख्या प्रस्तुत की, इसमें आवश्यक सुसंगत साक्ष्यों को दबाया गया। और एक फर्जी सुसाइड नोट तैयार किया गया ।इन सब के आधार पर थाना मलावन पुलिस द्वारा न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया गया ।परंतु श्रीमान मुख्य दंडाधिकारी महोदय ने एफआइआर दर्ज करने तथा प्रार्थना पत्र में वर्णित तथ्यों के परिपेक्ष में विवेचना करने का आदेश दिया ,परंतु थानाध्यक्ष थाना मलावन ने ‘पुलिस इन्वेस्टिगेशन फिक्सिंग’आदि है ने न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए अपराधियों के खिलाफ ना तो एफ आई आर दर्ज की और ना ही पुलिस विवेचना की। इससे व्यथित दुखी होकर राजेश की बूढ़ी मां श्रीमती अनीता देवी ने बार-बार एटा जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय जिलाअधिकारी महोदय से फरियाद की ,परंतु भ्रष्टाचार में डूबी एटा पुलिस ने उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यक्रम” मिशन शक्ति “की हत्या करते हुए अनीता देवी के कानून तथा न्यायिक प्रार्थना पत्रों को नजरअंदाज कर दिया, तब से दुखी होकर श्रीमती अनीता देवी ने माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता पंकज कुमार एडवोकेट के माध्यम से याचीका संख्या -1935/ 2021 थाना मलावन पुलिस के अलावा सीबीआई अथवा सीबीसीआईडी से राजेश हत्याकांड की निष्पक्ष विवेचना करने की मांग को लेकर मानते हुए माननीय उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्तिअंजनी कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति माननीय अमित गोपाल की उत्तर प्रदेश सरकार के साथ पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय तथा थानाध्यक्ष थाना मलावन को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस प्रार्थना पत्र में नाम जवानों के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ,पोस्टमार्टम गृह के अधिकारियों- कर्मचारियों तथा मलावन पुलिस पर मिथ्या साक्ष्यो गढने का आरोप लगाया गया है । गौरतलब है कि राजेश हत्याकांड के मृतक राजेश के शव का पंचनामा भरा गया। उस समय सब के शरीर के कपड़ों की जेब में सुसाइड नोट नहीं था ।और पोस्टमार्टम हाउस में डॉक्टर साहब ने मृतक के शरीर का आवश्यक पोस्टमार्टम नहीं किया। परंतु मृतक की जेब में से पर्ची खोज निकाली ।यहां ध्यान देने योग्य बात है कि डॉक्टर शरीर का पोस्टमार्टम करते हैं और शरीर के पोस्टमार्टम से पहले पुलिस पंचनामा में मृतक के शरीर के सारे कपड़ों को पुलिस चेक करती है और पंचनामा में सुसाइड नोट नहीं मिला ,तो पोस्टमार्टम में सुसाइड नोट कहां से आया ।विचारणीय प्रशन बनकर गूंज रहा है ।श्रीमती अनीता देवी ने कहा कि मृतक राजेश के पास 1 किलो के लगभग सोना था ।उसे ₹72000 प्रतिमाह तनखा मिलती थी। गांव में रहने के कारण,वो सारा रुपया बचाता था। वह सारे रूपों की जांच कर ली जाए और मृतक की पत्नी शीतला देवी अगर हिसाब नहीं दे पाती है। और पुलिस और डॉक्टर के पास आय से अधिक संपत्ति है। तो कानून यह अवधारणा करेगी ,कि शीतला देवी ने इन लोगों को राजेश की गाढ़ी कमाई का रुपया रिश्वत में खिलाया है ।इसके कारण थाना मलावन पुलिस ने पुलिस इन्वेस्टिगेशन फिक्स कर रखा है ।इसके साथ ही एक और विवादित विषय संज्ञान में आया है। कि थाना मलावन पुलिस को राजेश का कथित सुसाइड नोट 5 वे दिन प्राप्त हुआ। 5 दिनों तक सुसाइड नोट प्राप्त ना होना, अपने आप में सभी थाना मलावन पुलिस की आपराधिक कार्य प्रणाली का सबूत है। और अब हाल ही में चर्चित देहात कोतवाली एटा के स्पेक्टर की भांति थाना मलावन के जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक शिकंजा कसना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव, मुख्य सचिव सहित उत्तर प्रदेश पुलिस को भी हाईकोर्ट ने तलब किया है। श्रीमती अनीता देवी के वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज कुमार एडवोकेट हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को न्याय दिलाना ही मुख्य उद्देश्य है।