लेखपालो के खेल भी अजीब होते हैं….
Knlslive की पडताल
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायत के चुनाव की दहरी नजदीक आ रही है,बैसे-बैसे लेखपाल और ग्राम-प्रधान अपनी गोटिया बिछाने से पीछे नही हट रहे हैं,

रफ़तनगर सैथरा पंचायत निधौली कला
इस पंचायत के विषय मे लगभग सभी राजनैतिक नेता और सभ्रजन जानते हैं,क्युकि यह उस पंचायत का नाम है जहा एटा की ग्राम पंचायत की भुमि अधिक मानी जाती है और है भी, लेकिन खेल भी इसी हजार बीघा जमीन के खेल का है,जिसे प्रधान अपने शातिर दिमाग से गाव के भोले भाले लोगो को पट्टे के नाम पर कई लाख रुपये बसुल कर अपने नाम करने मे लगा हुआ है,
लेखपाल और प्रधान
एटा सदर हमेशा ही विवादो मे रहने वाली तहसील रही है क्युकि जो भी लेखपाल मलाई खाना चाहता है उसे सिर्फ़ एटा तहसील के इर्द गिर्द रहने की आदत हो गयी है,इसी खेल को ध्यान मे रखकर ग्राम प्रधान कुवरपाल व लेखपाल मुन्नालाल के द्वारा 16/12/2020 को एक बैठक की हुई, जिसमे पट्टे को लेकर बात की गई व लाखो रुपये जमा कर जनता को अपने फ़ास मे फ़साने का प्रयास किया है!
लेखपाल व प्रधान ने लिये पैसे..
लेखपाल मुन्नालाल व प्रधान कुवरपाल ने SDM अबुल कलाम व तहसीलदार दुर्गेश यादव के नाम पर पैसो की उगाही की है,
ग्राम पंचायत के उमेश यादव ने बताया कि यह पंचायत नौ गाव की है जिसकी लगभग 5000 की वोटर संख्या है यह पंचायत की प्रधानी करीब-करीब एक परिवार के हाथो मे ही रही है जो कि सभापति रमेश यादव के परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो कि प्रधान अपने रसुख का गलत इस्तेमाल कर के प्रधानी पाते हैं और फ़िर सिर्फ़ बिना बिकास के कार्यो के पैसो का बन्दरबाट कर लिया जाता है, जो कि यह बहुत बडा जांच का विषय है!
गाव के ही कन्हेया लोधी ने बताया कि प्रधान गाव के भोले भाले लोगो को पट्टे के नाम पर फ़सा कर रुपये ले रहा है,जिससे यह वोटर फ़िर कही किसी और को वोट ना कर पाये और वह फ़िर लुट के लिये प्रधान बन जाये, जब कि सैथरा की जमीन का मुकदमा हाईकोर्ट मे चल रहा है व जिला प्रशासन को कोर्ट से निर्देश भी जारी किये गये है कि यथा स्थिति सुनिश्चित की जाये, इसके बावजूद भी प्रधान व लेखपाल अधिकारियो के नाम पर पैसे बसुल रहे हैं,
भीड़ दर्द बया करने आती है लेकिन जिला कलक्टर के जू नही रेगती
19/12/2020 को भारी संख्या मे रफ़त नगर सैथरा से कइ सौ लोग टेक्टरो से जिला मुख्यालय पर जिला कलक्टर से शिकायत लेकर आये थे,जिस शिकायत को नजर अन्दाज कर दिया गया और आज तक किसी भी तरह की कार्यवाही सुनिश्चित नही की गई है,
कुछ तो दाल मे काला है
अगर समय रहते लेखपाल मुन्नालाल को ग्राम पंचायत से नही हटाया गया तो पैसो की उगाही अफ़सरो के नाम पर बन्द नहीं होगी,जिसे सिरे से यह भी खारिज नही किया जा सकता है कि अफ़सर स्तर के लोग इस पैसा बसुली आंदोलन मे शामिल नही है,