
वरिष्ठ पत्रकार श्री रामनरेश सिन्हा नश्वर का सोमवार को देहावसान हो गया। श्री सिन्हा पीटीआई-भाषा में लंबे समय तक रहे, मुख्य संपादक के रूप में भी सेवाएं दी और यहां सेवानिवृत्ति तक जुड़े रहे। बिहार के वैशाली ज़िले के सुक्की गांव के मूल निवासी दिवंगत रामनरेश सिन्हा नश्वर जी ने बिहार से लेकर दिल्ली तक अपनी पत्रकारिता की छाप छोड़ी। वे हिंदी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं पर मज़बूत पकड़ रखते थे और हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी की पत्रिकाओं का भी लेखन और संपादन करते रहे।
दिवंगत नश्वर जी ने हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप के बिहार से निकलने वाले सर्चलाइट-प्रदीप अखबार से अपनी पत्रकारिता के जीवन की शुरुआत की। हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप से अलग होने के बाद उन्होंने वित्तीकी नाम से खुद की एक पत्रिका निकाली, जिसका भारत के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसार था। इसका संपादन ये खुद करते थे और खुद ही इन्होंने पटना में प्रेस की भी स्थापना की थी। चार समाचार एजेंसियों हिंदुस्तान समाचार, समाचार भारती, पीटीआई और यूएनआई को मिलाकर समाचार के नाम से एक न्यूज़ संस्था बनी, जिसमें वो जुड़े और यहीं से पीटीआई-भाषा में आए थे। यहां से मलयालम मनोरमा की तरह देश और दुनिया नाम से एक वार्षिकी का प्रकाशन किया जाता था, जिसके संपादक भी रहे।
श्री रामनरेश सिन्हा नश्वर के बारे में ये बात मशहूर थी कि जिस दिन वो समाचार से जुड़ा कोई काम नहीं कर पाते थे, उस दिन उन्हें नींद नहीं आती थी। समाचारों से उनका ये जुड़ाव पीटीआई-भाषा से रिटायरमेंट लेने के बाद भी बरकरार रहा और उन्होंने एक बार फिर से एक आर्थिक पत्रिका निकाली और उसका संपादन करते रहे। इसके बाद वो कांग्रेस की पत्रिका हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के संपादक की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद हाल ही में उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में दाखिल कराया गया था और वहां से ठीक होने के बाद वो इंदिरापुरम स्थित अपने पुत्र अमरेश कुमार के साथ रह रहे थे, लेकिन सोमवार दोपहर को उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी और फिर उनके निधन का दुखद समाचार आया।