
लाखों के घोटाले को अंजाम देने वाले खजांची पर विभागीय अधिकारी मेहरबान
शातिर घोटालेबाज खजांची को बचाने में जुटे विभागीय उच्च अधिकारी
एटा। भ्रष्टाचार को लेकर समय-समय पर सरकारी विभागों पर उंगली उठती रहती है लेकिन कुछ गिने-चुने ऐसे भी डिपार्टमेंट हैं जिनकी ओर शायद ही किसी की नज़र जाती हो। ऐसे ही एक ईमानदार विभाग के खजांची ने लाखों का गबन कर लिया और जब मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा तो उस शातिर खजांची पर कार्यवाही करने की बजाय विभागीय अधिकारी उसे बचाने में जुट गए हैं। दरअसल मामला मुख्य डाकघर का है जिसके खजांची ने करीब 15 लाख का चुना सरकार को लगा दिया। जब एक शिकायतकर्ता द्वारा उक्त खजांची की शिकायत उच्च स्तरीय अधिकारियों से की गई तो आनन-फानन में गबन की हुई धनराशि जमा कर दी गई। स्टाम्प बिक्री के लिए विभाग ने एक फ्रेंचाइजी को जिम्मेदारी सौंपी हुई है जोकि 5 प्रतिशत कमीशन पर स्टाम्प बेचती है जिसका प्रतिमाह कमीशन 60-70 हजार हो जाता है। लेकिन डाकघर के खजांची स्टाम्प बिक्री में बड़ा खेल करते हुए कुछ माह में स्टाम्प बिक्री निल दिखाते रहे लेकिन जिन माह में स्टाम्प बिक्री निल दिखाया गया उस माह में स्टाम्प बेचने वाली फेंचाइजी को कमीशन भी बराबर भेजते रहे जिससे खजांची के खेल का भंडाफोड़ हो गया। इस तरह डाकघर के खजांची जून 2018 से दिसंबर 2019 तक अपने काले कारनामों को अंजाम देते रहे लेकिन 1 जनवरी 2020 को एक शिकायतकर्ता द्वारा जब खजांची की शिकायत उच्च अधिकारियों से लिखित में की गई तो करीब 15 लाख की धनराशि सरकारी खजाने में जमा कर दी। फिलहाल इसकी विभागीय जांच चल रही है लेकिन मुख्य डाकघर के अधिकारी मामले को दबाने में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही रेवेन्यू टिकट में 10 प्रतिशत का कमीशन होता है एक लाख रुपए की रेवेन्यू टिकट पर 1 लाख 10 हजार रुपए की टिकट देनी होती है लेकिन शातिर खजांची 1 लाख की टिकट बिक्री पर भी 10 प्रतिशत की कमीशन खुद ही हजम कर जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विदेशी चार सीओडी में भी खजांची ने खेल कर दिया जिसकी पूर्ण जानकारी मिलने के बाद जल्द खुलासा किया जाएगा। इससे पूर्व में भी मुख्य डाकघर में छोटे छोटे भ्रष्टाचार के मामले सामने आए तो उन मामलों में सम्बंधित लोगों पर कार्यवाही भी की गई लेकिन जब 286 रपए गबन पर कार्यवाही कर निष्कासित करने वाले अधिकारी आखिर 15 लाख का चुना लगाने वाले खजांची पर कार्यवाही करने से क्यों बच रहे हैं? कहीं इस बड़े भ्रष्टाचार में खजांची के साथ दूसरे भी बड़े विभागीय लोगों की मिलीभगत है यह जांच का विषय है।