कानपुर में हवाला रैकेट
156 करोड़ का मामला कैग ने पकड़ा

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कानपुर में हवाला रैकेट
156 करोड़ का मामला कैग ने पकड़ा
◾देश के 13 राज्यों के 260 मामलों की जांच में दो कानपुर के निकले
◾156 करोड़ के हवाला रैकेट के पुख्ता प्रमाण मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं
◾कारोबारी को छोडा, किसी भी जांच एजेंसी को सूचना तक नहीं
◾ऑडिट रिपोर्ट में पकड़ी बड़ी लापरवाही
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में प्रधान आयकर आयुक्त (केंद्रीय) के निर्देश पर आयकर छापा मारा गया, जिसकी जांच दो साल यानी 2017 तक चली। ऑडिट में खुलासा हुआ कि व्यापारी हवाला कारोबार में लिप्त है। छापे के दौरान जब्त सामान और करेंसी से सबूत मिले कि हवाला रैकेट बड़े स्तर पर चल रहा है। एक ही नंबर और सीरीज की करेंसी और डायरी ने हवाला की आशँकाओं को सच में बदल दिया। विशिष्ट नंबर की करेंसी एक दर्जन कारोबारियों को सप्लाई की गई। हवाला के जरिए अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग व्यापारियों को 156 करोड़ रुपए की डिलीवरी दी गई। कैग (कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) ने सवाल उठाए हैं कि इसके बावजूद कर निर्धारण अधिकारी ने न तो उन लोगों से पूछताछ की, जिन्हें ये रकम डिलीवर की गई थी और न ही कारोबारी से रकम का सोर्स पूछा। पूरे मामले की सूचना भी किसी जांच एजेंसी को नहीं दी गई। इसका परिणाम ये हुआ कि अघोषित आय के रूप में मिलने वाले 64.29 करोड़ रुपए का टैक्स विभाग को नहीं मिला।
आयकर नियमों के मुताबिक कैश में लोन नहीं लिया जा सकता। कैग ने कानपुर की एक बड़ी कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट में भारी लापरवाही पकड़ी। कंपनी ने 201.99 करोड़ रुपए का कैश लोन दिखाया था लेकिन एसेसमेंट में केवल 86.99 करोड़ रुपए आय में जोड़े गए। दलील दी गई कि कारोबारी ने 115 करोड़ रुपए की आय सरेंडर की है लेकिन कारोबारी ने 115 करोड़ रुपए कभी आयकर रिटर्न में कभी दिखाए ही नहीं। कैग ने सवाल उठाए हैं कि आयकर विभाग ने भी इतने बड़े कारोबारी का रिटर्न तक चेक नहीं किया कि उसके 115 करोड़ रुपए दिखाए हैं या नहीं। वास्तव में कारोबारी ने 115 करोड़ रुपए का टैक्स कभी दिया ही नहीं था।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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