यह तीन घटनाएं एक ही एसपी के कार्यकाल में घटी हैं बस जिले बदल गए हैं

यह तीन घटनाएं एक ही एसपी के कार्यकाल में घटी हैं बस जिले बदल गए हैं। पहले उन्नाव अब हाथरस। इन तीन खबरों को पढ़िए और यूपी में क्या हो रहा है उसका अंदाजा लगाइए।

नाम – विक्रांत वीर सिंह
IPS- 2014 बैच
वर्तमान एसपी हाथरस
पूर्व में तैनाती- उन्नाव
मूल निवासी- नालंदा बिहार

16 दिसंबर 2019
न्याय के लिए काफी समय से भटक रही रेप पीड़िता ने उन्नाव के एसपी ऑफिस के बाहर खुद को आग लगा ली। पुलिस ने आग बुझाने के बाद युवती को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़िता 85 फीसदी तक जल चुकी थी। गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें इलाज के लिए कानपुर रिफर कर दिया गया।युवती (23) ने आरोप लगाया था कि दुष्कर्म के आरोपी अवधेश सिंह के खिलाफ उसकी शिकायत पर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी

6 दिसंबर 2019-
उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली दुष्कर्म पीड़िता को अल सुबह छह युवकों ने पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। पीड़िता ने बयान दिया कि गवह रायबरेली जाने के लिए ट्रेन पकड़ने बैसवारा बिहार रेलवे स्टेशन जा रही थी। गौरा मोड़ पर गांव के हरिशंकर त्रिवेदी, किशोर शुभम, शिवम, उमेश ने घेर लिया और सिर पर डंडे से और गले पर चाकू से वार किया।इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। 90 फीसदी जली पीड़िता ने बताया कि पूर्व में आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। इस युवती की भी मौत हो गई।

14 सितंबर 2020
हाथरस के एक गांव में आम दिनों की तरह उस दिन भी एक युवती जानवरों के लिए चारा लेने अपनी मां के साथ खेत गई थी. उस अंदाजा भी नहीं था कि वो दिन उसके जिंदगी का सबसे खौफनाक और जानलेवा दिन होने वाला है
खेत में गांव के ही कुछ दबंग युवक आ धमके और उसके साथ जबरदस्ती करने लगे. लड़की ने खुद को उन दरिंदों से बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन आरोपी उसे अपनी हवस का शिकार बनाते रहे. चार युवकों ने बारी-बारी से उससे गैंगरेप किया. बेटी के चीखने की आवाज सुनकर युवती की मां उसे ढूंढते हुए वहां आ पहुंची तो आरोपी खेत से फरार हो गए।

गैंगरेप के बाद खेत से फरार होने से पहले आरोपियों ने क्रूरता की सभी हदें पार कर दीं. उन्होंने युवती को इतनी बेरहमी से मारा – पीटा कि वो खुद के पैरों पर खड़ी भी नहीं रह पा रही थी. युवती की जीभ काट दी गई उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई। युवती की मौत ही गई है। पुलिस ने इस मामले में भी रेप का मुकदमा दर्ज नही किया था।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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