अजब, लूडो को लेकर, खेल में मिली हार से बदला बाप-बेटी का रिश्ता!

अजब, लूडो को लेकर, खेल में मिली हार से बदला बाप-बेटी का रिश्ता!

**लूडो में मिली हार बेटी और पिता के रिश्तों पर असर डालने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, मगर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसा हुआ।

लूडो में मिली हार बेटी और पिता के रिश्तों पर असर डालने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, मगर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसा हुआ है। लूडो खेल में मिली हार के बाद अपने पिता से बढ़ी दूरी से परेशान और बेचैन 24 वर्षीय युवती कुटुंब न्यायालय की काउंसलर के पास जा पहुंची।

कुटुंब न्यायालय की काउंसलर सरिता राजानी के पास एक अजीबो-गरीब मामला आया, यह लूडो खेल से जुड़ा हुआ है। इस खेल में 24 वर्षीय बेटी अपने पिता से हार जाती है तो उसकी अपने पिता से दूरियां बढ़ जाती हैं, वह उन्हें पिता तक कहने से हिचकने लगती है। युवती इससे इतनी परेशान और बेचैन होती है कि वह कुटुंब न्यायालय की काउंसलर सरिता राजानी के पास परामर्श लेने जा पहुंचती है।

सरिता राजानी ने संवाददाताओं से चर्चा के दौरान बताया कि एक 24 वर्षीय बेटी उनके पास काउंसलिंग के लिए आई। युवती ने उन्हें बताया कि वह अपने पिता के साथ लूडो खेल रही थी और इस दौरान पिता उसकी एक गोटी को मार देते हैं, जिससे वह हैरान हो जाती है मगर पिता के चेहरे पर शिकन नहीं होती।

युवती द्वारा कही गई बात का ब्यौरा देते हुए राजानी बताती हैं कि फिर पिता एक और गोट को मार देते हैं। खेल खत्म हो जाता है मगर युवती की मन में पिता के प्रति सम्मान कम होने लगता है, उसका सामने आने पर पिता को पिता कहने का मन नहीं करता।

राजानी को युवती ने बताया कि उसके भाई बहन भी है, मगर किसी को इस बात की जानकारी नहीं है कि उसके मन में लूडो में मिली हार के बाद पिता के प्रति सम्मान कम हो रहा है। युवती अपने पिता को बहुत ज्यादा प्रेम करती थी, अगर लूडो की हार ने उस सम्मान को कम कर दिया है और पिता जब भी सामने नजर आते हैं तो वह उन्हें पिता कहने तक में संकोच करती है। युवती कई बार रोई है और कहती है कि पिता को उसकी खुशी के लिए इस खेल में हार जाना था, क्योंकि वह उन्हें बहुत चाहती है, मगर ऐसा हुआ नहीं।

कुटुंब न्यायालय की काउंसलर राजानी ने बताया कि उस युवती के साथ उनकी चार बैठकें हो चुकी हैं और अब युवती के नजरिए में कुछ सकारात्मक बदलाव भी आने लगा है।

राजानी कहती है कि यह घटना क्रम यह बताने वाला है कि समाज में बड़ी तेजी से बदलाव आ रहा है, जहां अपने परिवार के किसी सदस्य से हम बहुत ज्यादा अपेक्षा रखते हैं और वह पूरी नहीं होती या उसमें कमी आती है तो रिश्ते किस तरह से बिखरने की स्थिति में पहुंच जाते हैं।

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

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