
एटा,
आगरा रोड स्थित हजारा नहर पर दो तैराक रवेंद्र, जुगेंद्र, का संघर्ष आखिर कबतक अनदेखा किया जाएगा—
जबकि ये दोनों भाई 2003,से अपनी जान की बाजी लगाकर सैकड़ों इंसानों को मौत के मुंह से निकालकर लाए है।तैरने का हुनर तो बहुत लोगो मे होता है,पर अपने सौक और बचाव की पूर्ति मे अक्सर लोग स्तेमाल करते हैं। आजके स्वार्थी बदलते परिवेश मे कौन किसी की जान के लिये अपनी जान देकर सेवा करता है,ऐसी इंसानियत बहुत कम लोगों मे पाई जाती है,हम इनके हौसले और कार्य को सलाम करते है,इन्हीं कामनाओं के साथ कि ईश्वर इनकी हमेशा रक्षा करना, हमने कई बार इनसे इनके इस कार्य को लेकर बात की कि आपको इतने खतरनाक कार्य को करते समय डर नहीं लगता है।तो इनका जबाब होता है,कि मेम उस बक्त पानी मे तढपते हुये उस इंसान की पीणा के शिवाय कुछ नहीं दिखाई देता है, और ईश्वर को साक्षी माकर कर भला होगा भला मे कूद पढते है,उफनते पानी और मगरमच्छों के सामने,खैर हमने भी बहुत प्रयास किया एटा, जिलाअधिकारी सुखलाल भारती जी के सामने हम इनकी रोजी रोटी के लिए इन दोनों भाईयों को लेकर भी गये जबकि अपने काम के लिये मै आजतक किसी भी अधिकारी के पास नहीं गई, एक अनुरोध पत्र लेकर इनकी रोजी रोटी के लिये,माननीय जिलाधिकारी जी ने इन को देखते ही और मुझे कह दिया अभी इस तरह की कोई नौकरी या जगह नहीं है लेकिन फिर भी हम इनके लिए नगर पालिका से बात करेंगे आज कई महीने बीत जाने के बाद अभी तक शासन, या प्रशासन, का इनके लिये कोई भी आस्वासन नहीं आया है।आज हम इनके सम्मान मे सारे वह प्रशस्ति पत्र आप सभी तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हूँ, जो इनकी सेवा मे इन्हें दिये जाते है,साहब अलमारी रखे यह तौफे तभी खुशी देते हैं जब परिवार और खुदके पेट,भरे हो वरना यह भी मुंह चिढाते हुए कर्म और त्याग पर सवाल दागते हैं, गौर से देखिये इन तोहफों को जिसमे मे उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री भी सामिल है।आखिर कबतक।