श्रीबागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ
कथा यजमान कपिल मोटर्स एवं साधु-संतों सहित वाल्मीकि समाज का हुआ सम्मान, 27 नवम्बर को लगेगा भव्य दिव्य दरबार
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शिवपुरी, ब्यूरो। स्थानीय नर्सरी ग्राउण्ड, हवाई पट्टी के पीछे लुधावली परिसर में रविवार से श्रीबागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के श्रीमुख से भव्य श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। प्रथम दिवस हजारों की संख्या में धर्मप्रेमीजन मौजूद रहे और कथा का रसपान किया।
कथा के शुभारंभ अवसर पर वाल्मीकि समाज के लोगों, कथा यजमान कपिल मोटर्स परिवार तथा साधु-संतों का शॉल एवं पटका पहनाकर सम्मान किया गया। मंच पर महामण्डलेश्वर पुरुषोत्तमदास जी महाराज एवं महामण्डलेश्वर नीलमणिदास जी महाराज सहित अनेक संत उपस्थित रहे।
कथा के प्रथम दिवस में पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि— “भागवत के चार अक्षर—भ से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग—ही जीवन का सार है। भक्त और भक्ति में भेद न रहे, यही सच्ची साधना है।” उन्होंने कहा कि कथा सिर्फ सुनने का विषय नहीं, हृदय में धारण का विषय है। जब तक कथा समाप्त न हो, पीठ न दिखाने और ईर्ष्या छोड़कर मन शांत रखने का संदेश दिया।
पूज्य शास्त्रीजी ने शिवपुरी को “भगवान शिव की प्रिय नगरी” बताते हुए शहर के धार्मिक स्थलों—खेड़ापति हनुमान, बाणगंगा, भदैयाकुण्ड, चिंताहरण हनुमान, राम मंदिर, बांकड़ा हनुमान—का स्मरण किया और कहा कि शिवपुरी में सनातन की ध्वजा और ऊँची फहरेगी।
समाज में जातिवाद, छुआछूत और ऊँच-नीच के विरोध में एकजुट होने की अपील करते हुए उन्होंने कहा—
“हम लोगों को आस्तिक या नास्तिक नहीं, वास्तविक बनाने आए हैं। भगवान चतुराई से नहीं, सरलता से मिलते हैं।”
कथा के दौरान भजन ‘जय जय राधारमण हरिओम’, तथा ‘मेरे दाता के दरबार में…’ भजन से पूरा पांडाल भक्तिमय हो गया।

27 नवंबर को लगेगा दिव्य दरबार
कथा मंच से घोषणा की गई कि 27 नवम्बर को नर्सरी ग्राउण्ड शिवपुरी में भव्य दिव्य दरबार आयोजित किया जाएगा। पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने भावनात्मक अंदाज में शिवपुरी को “पागलों की नगरी” कहते हुए जयकारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया—
“जय-जय श्रीराम, सीताराम, साधुजी…
कथा प्रतिदिन 03 बजे सांयकाल निर्धारित समय पर प्रारंभ की जाएगी।
धर्मप्रेमीजन अधिकाधिक संख्या में उपस्थित होकर पुण्यलाभ लें।