बेटे की सांसें चलती रहें, इसलिए बना पिता जीवनदातायह कहानी है

बेटे की सांसें चलती रहें, इसलिए बना पिता जीवनदाता
यह कहानी है उस पिता की, जिसने अपने बीमार बेटे को बचाने के लिए वो कर दिखाया जो शायद ही कोई कर सके। जन्म से ही गंभीर बीमारी से जूझ रहे इस मासूम को ज़िंदगी के लिए एक अनोखे सहारे की जरूरत थी—शरीर की गर्मी। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे को हर पल शरीर की गर्मी मिलती रहनी चाहिए, वरना उसकी जान को खतरा है। तब उस पिता ने 10 महीने तक अपने बेटे को अपने सीने से चिपकाकर रखा।
ना दिन का होश रहा, ना रात की नींद पूरी हुई, लेकिन उस पिता की गोद ही बेटे का जीवन बन गई। अपनी थकान, पीड़ा, जरूरतें सब भूलकर बस एक ही बात उसकी ज़हन में थी—बेटे की सांसें चलती रहें।
यह कहानी सिर्फ एक पिता के त्याग की नहीं, बल्कि उस बेमिसाल प्रेम की है जो किसी ग्रंथ में नहीं लिखा, लेकिन हर इंसान के दिल को छू जाता है। ऐसे पिता न तो सुर्खियों में आते हैं, न ही तारीफों के मोहताज होते हैं—फिर भी उनके बिना दुनिया अधूरी है।
यह कहानी हर उस इंसान को समर्पित है जो बिना शोर किए प्रेम और समर्पण की मिसाल बन जाता है। ❤️

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निशाकांत शर्मा (सहसंपादक)

यह खबर /लेख मेरे ( निशाकांत शर्मा ) द्वारा प्रकाशित किया गया है इस खबर के सम्बंधित किसी भी वाद - विवाद के लिए में खुद जिम्मेदार होंगा

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