हाय हाय मध्यांचल विद्युत
वितरण निगम

लखनऊ —- संविदा कर्मियों की अत्यधिक कमी होने के कारण जनता आए दिन विद्युत उपकेंद्रो पर जा कर धरना प्रदर्शन कर रही है इस उमस भरी गर्मी में घण्टों विद्युत आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होने पर जनता का ग़ुस्सा उपकेंद्र पर तैनात संविदा कर्मियों के ऊपर ही फूटता है और इसकी जिम्मेदारी जिस प्रबंध निदेशिका की है वो अपने आलीशान मकान में वातानुकूलित कमरे में आराम से सोती है जब कि उनके अधीनस्थ संविदा कर्मियों को विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाने पर जनता लाठी डंडों से मारने पर उतारू हो रही होती है जब इसकी जांच की गई तो समस्या सामने आई कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की प्रबन्ध निदेशिका के अनुभवहीनता सबसे बड़ा कारण है।
*तो जाने इस अराजकता के प्रमुख कारण क्या है सबसे पहले संविदा कर्मियों की नियुक्ति करने की निविदा सर्किल स्तर पर निकाली जाती थी फिर जोन स्तर पर निकाली जाने लगी इसके बाद दो तीन जोन जोड़ कर प्रबंध निदेशक स्तर पर निकाली जाने लगी अब यह निविदा अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन के स्तर पर निकाली जाने लगी यानी अब एक आदेश निकाला गया कि 25 करोड़ या उससे अधिक की निविदा पर अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन फैसला करेंगे । तो उन्होंने ने इस बार संविदाकर्मियों की संख्या 45% तक घटा दी जिसका जोरदार विरोध हुआ संविदा कर्मियों ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय का घेराव व धरना दिया जिसके बाद संविदाकर्मियों के नेताओ और तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत के मध्य समझौता हुआ और छंटनी का आदेश वापस लेने का आदेश पारित हुआ परन्तु अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण करने के मनसूबे पर पानी फिरता देख बड़का बाबू ने साम दाम दण्ड भेद करके प्रबन्ध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत को स्थानांतरित करवा कर अनुभवहीन 2017 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी की नियुक्ति मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की प्रबन्ध निदेशिका के रूप में करा दी यह वो अनुभवहीन भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी है जिनके पास एक भी जिले की कमान संभालने यानी जिलाअधिकारी बनने तक का अनुभव नहीं उसके हाथ में 19 जिलों की कमान दे दिया गया जब कि इस पद पर बैठने के लिए कम से कम 15 वर्ष का अनुभव होना जरूरी है परन्तु जय हो जुगाड की ।
पदभार ग्रहण करते ही महोदया ने एहसान उतारना शुरू भी कर दिया और निजीकरण करने में अपना सहयोग भी देने लगी । बड़का बाबू के इशारे पर तक धिंना धिंन चालू कर दिया यानि कि इशारे पर नाचना चालू कर दिया उसी क्रम में महोदया द्वारा पूर्व प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत और संविदा कर्मियों के बीच में हुए समझौते को लागू करने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया गया जिसका कि खामियांजा पूरी गर्मी मध्यांचल विद्युत वितरण के अन्तर्गत आने वाले उपभोक्ता /जनता को भोगना पड़ा। इस बीच निचले पदो (जे ई) से लिखित रुप मे कर्मचारी ना होने की वजह से सुचारू रूप से विद्युत आपूर्ति करने में दिक्कत आने की शिकायते आनी व संविदाकर्मियों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग निरन्तर उठनी शुरू हो गई लेकिन प्रबंध निदेशिका महोदया जो कि महाज्ञानी और महा अनुभवी हैं उन्होंने ने ध्यान ही नहीं दिया बल्कि संविदा कर्मियों को निजी स्तर पर सबक सिखाने या देख लेने की खुलेआम धमकी दी। *लेकिन संविदा कर्मियों की कमी की मांग उठती रही हद तो तब हो गई कहीं पर तो 35 किलोमीटर लम्बा क्षेत्र मात्र दो संविदा कर्मी के भरोसे चल रहा है अगर उस क्षेत्र में कोई खराबी हो जाती है तो दो आदमी कैसे आपूर्ति मिनटों में बहाल कर सकते जिस काम के लिए दो या तीन गैंग लग कर फाल्ट ढूढ कर सही करने में 5-7 घण्टे लग जाएंगे वहां दो आदमी कैसे मिनटों में आपूर्ति बहाल करेंगे । ऐसी ही कुछ कहानी लखनऊ के सर्किल 4 की है जिसमें अधीक्षण अभियंता ने 99 आदमी यानी 33 गैंग मांगे जिसकी फाइल महाज्ञानी प्रबंध निदेशिका महोदया के कार्यालय में धूल खा रही है क्योंकि कि इस निविदा पर निर्णय शक्ति भवन में बैठे नोडल एजेंसी के अध्यक्ष ने लिया था तो अब उस पर आगे की कार्यवाही वही करेगें तब जा कर अमौसी क्षेत्र की जनता को राहत मिलेगी । जब तक महाज्ञानी इस फ़ाइल पर संविदा कर्मियों को बढ़ाने का अनुमोदन नही ले लेती तब तक जनता गर्मी झेलने को मजबूर हैं और दूसरी तरफ अगर कोई अभियंता इस पद पर बैठा होता तो आदेश प्रत्याशा में कार्य हो जाता और जनता को उमस भरी गर्मी ना झेलनी पड़ती । तो बोलो महाज्ञानी महानभूती की जय और झेलो इनका किताबी ज्ञान और इनके द्वारा किया जा रहा निजीकरण की आड़ में भ्रष्टाचार वैसे जितनी उम्र इन महोदया की है उतना तो कार्य अनुभव यहां पर काम कर रहे कई अभियन्ताओं को है* । खैर *युद्ध अभी शेष है*
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबंध संपादक समय का उपभोक्ता राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ