
एटा। श्रावण मास में शुरू हुई कांवड़ यात्रा को लेकर जिले में सुरक्षा एवं व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन और पुलिस विभाग की ओर से सतर्कता बरती जा रही है, वहीं कई सामाजिक संस्थाओं और समाजसेवियों ने कांवड़ियों की सेवा के लिए कैंप लगाने की अनुमति मांगी थी।जानकारी के अनुसार, कुल 18 लोगों को कांवड़ यात्रा मार्ग पर कैंप लगाने की अनुमति पुलिस विभाग द्वारा प्रदान की जा चुकी है। इन कैंपों का उद्देश्य कांवड़ियों को विश्राम स्थल, पेयजल, फल एवं भोजन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना था। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज तक जिले भर में कहीं भी किसी भी संस्था या व्यक्ति द्वारा ऐसा कोई कैंप नहीं लगाया गया है।हालांकि पुलिस विभाग की ओर से स्वयं बीते दिन कुछ स्थानों पर कांवड़ियों के लिए फल, पानी व भोजन आदि का वितरण किया गया, लेकिन जिन लोगों ने सेवा भाव के तहत कैंप लगाने का दावा किया था, वे अब तक नदारद हैं। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का कहना है कि यह न केवल एक लापरवाही है, बल्कि धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है। प्रशासन से अनुमति लेकर भी कोई जिम्मेदारी न निभाना इस बात को दर्शाता है कि सेवा भावना केवल कागजों तक सीमित रह गई है।कांवड़ियों को मार्ग में ना तो कहीं छांव मिल रही है, ना ही आराम करने के लिए कोई स्थान। तेज धूप और उमस भरे मौसम में पैदल यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं के लिए यह स्थिति बेहद कष्टकारी बनी हुई है।अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले को लेकर क्या कदम उठाता है और क्या इन संस्थाओं से जवाबदेही तय की जाएगी, जिन्होंने केवल अनुमति तो ले ली, लेकिन सेवा का संकल्प निभाना भूल गए।