
“वीरांगना अवंती बाई मेडिकल कॉलेज बना लापरवाही का अड्डा – प्रसूता ने मेडिकल कॉलेज के गेट पर दिया बच्चे को जन्म, मेडिकल कॉलेज के गेट पर 30 मिनट तक दर्द से तड़पती रही महिला!”
“एटा से इस वक्त की सबसे बड़ी और हैरान कर देने वाली खबर…”
करोड़ों की लागत से बना वीरांगना अवंती बाई मेडिकल कॉलेज एटा अब आम जनता के लिए एक संकट बनता जा रहा है। लापरवाही की इंतहा देखिए – एक प्रसूता अस्पताल के गेट पर आधे घंटे तक दर्द से तड़पती रही, लेकिन न तो कोई डॉक्टर आया, न ही कोई नर्स…”
पति सुखवीर अपनी गर्भवती पत्नी को निजी वाहन से मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचता है, लेकिन सुरक्षा गार्ड और गेट पर मौजूद किसी भी स्टाफ का दिल नहीं पसीजता।
30 मिनट तक उस महिला को अस्पताल में दाखिल करने के लिए पति गिड़गिड़ाता रहा… मगर इंतजार ही करता रहा।
अंततः दर्द से तड़प रही महिला ने मेडिकल कॉलेज के गेट पर कार में बच्चे को जन्म दे दिया। नवजात कार के फर्श पर गिर पड़ा और रोता रहा, लेकिन अस्पताल के दरवाजे अब भी बंद ही रहे…
हद तो तब हो गई जब अस्पताल स्टाफ को तब होश आया जब साथ आई महिला ने अस्पताल में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना शुरू किया।
क्या यही है करोड़ों की लागत से बना मेडिकल कॉलेज? क्या यही है सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल?
एक महीने पहले इसी मेडिकल कॉलेज में गायनिक वार्ड की नर्सें ड्यूटी के दौरान सोती पाई गई थीं, जिनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी – लेकिन लगता है कि लापरवाही अब भी चरम पर है।
क्या जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग अब भी आंख मूंदे बैठा रहेगा?
क्या महिला और नवजात की जान जोखिम में डालने वाले इन लापरवाह स्टाफ पर कोई सख्त कार्रवाई होगी?
क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और स्वास्थ्य मंत्री इस पर कोई संज्ञान लेंगे?
एटा मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सवालों के घेरे में है… और इस बार मामला एक मासूम की जान से जुड़ा है।
सवाल यही है – कब तक मरीज अस्पताल के बाहर तड़पते रहेंगे और जिम्मेदार कुर्सियों पर बैठे लोग चुपचाप तमाशा देखते रहेंगे?