
जनपद एटा से कड़वे सच
जनपद एटा की बड़ी कहानी अपने चहेतों पर बड़ी मेहरवानी।
जिसका बड़ा अधिकारी मेहरवान होता है उसका छोटा सा कर्मचारी भी पहलवान होता है।
इसी क्रम में आजकल एटा की तहसीलों में बीते कुछ माह से फुटबॉल की तरह एरा-फेरी का खेल खुलेआम चल रहा है जो एक बड़े भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण दिखाई दे रहा है।
परन्तु एक कहावत है कि स्वयं राजा चोरी करे तो न्याय कौन के पास।
कलेक्ट्रेट में कुछ कर्मचारी यानी गैर विभागीय वर्षो से ठीके हुए हैं जो बड़े अधिकारियों के लिए दत्तक पुत्र के रूप में फरियादियों से मेल-जोल, यानी गुफ्तगू का कार्य करते हैं।
जब कानून एक अधिकारी एक तो वयबस्थाएँ अलग-अलग क्यों?
बड़ा सबाल तो ये है कि जनपद में आधा दर्जन से अधिक जिलाधिकारी पदभार संभाल कर विदा होगये, परन्तु कुछ चापलूस क्या जिलाधिकारी से बड़े हैं जो आज भी लगातार टिके हुए हैं?