

एक तरफ केन्द्र एवं राज्य सरकार ‘वृक्षारोपण महाअभियान’ के जरिए पर्यावरण संरक्षण को लेकर करोड़ों खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ एटा के मिरहची थाना क्षेत्र में फलदार और हरे-भरे पेड़ खुलेआम काटे जा रहे हैं – और ये सब हो रहा है स्थानीय पुलिस व वन विभाग की संदिग्ध चुप्पी के बीच
मामला मिरहची थाना क्षेत्र के गांव नगला जवाहरी और नगला मंशी के बीच का है, जहां बीते कुछ दिनों से लकड़ी माफिया बेखौफ होकर फलदार पेड़ों की कटाई में जुटे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि इलाकाई पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से पेड़ों की कटाई हो रही है, और जब इसकी सूचना मिरहची थाना प्रभारी व हल्का इंचार्ज को दी गई, तो उन्होंने मौके पर पहुंचने तक की जहमत नहीं उठाई।यह सवाल उठाता है कि क्या पुलिस-प्रशासन की आंखें मूंद लेना माफियाओं को खुली छूट देने जैसा नहीं है?
ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिए कटे हुए पेड़ों की लकड़ी निकाली जाती है, लेकिन ना ही किसी प्रकार की कोई जांच होती है और ना ही कोई कानूनी कार्रवाई।इस तरह की लापरवाही न सिर्फ कानून व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि सरकार की पर्यावरण रक्षा नीतियों को भी मज़ाक बना देती है।अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वन विभाग और पुलिस पर उच्च स्तर से कोई कार्रवाई होगी? क्या पेड़ों के कटने के बाद प्रशासन जागेगा?
अब देखना ये होगा कि क्या जिला प्रशासन इस मिलीभगत और पर्यावरण हानि पर कोई सख्त कदम उठाता है या फिर माफियाओं के हौसले ऐसे ही बुलंद रहते हैं।
वैभव वार्ष्णेय
जनपद एटा