
मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश: अहरौरा थाना क्षेत्र के ग्राम सभा खूटहा, पोस्ट पटिहटा में दलित समाज पर जानलेवा हमला और उनकी सार्वजनिक चकरोड को उजाड़ने का सनसनीखेज़ मामला सामने आया है। दबंगों ने न केवल दलितों पर लाठी-डंडों और फावड़ों से हमला किया, बल्कि उन्हें “चमार सियार” जैसी जातिसूचक गालियाँ दीं, महिलाओं से अभद्रता की और बच्चों को भी निशाना बनाया। यह घटना 27 जून को सुबह लगभग 9 बजे हुई, जिसके बाद से पीड़ित न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
आपसी समझौते से बनी चकरोड को भू-माफिया ने उजाड़ा
पीड़ित गुलाब चंद्र ने बताया कि यह विवादित चकरोड, जिसका निर्माण 2020 में दलित समाज के आवागमन के लिए आपसी समझौते से किया गया था, एक नाले पर 6 फीट चौड़ा बनाया गया था। 27 जून को, भू-माफिया प्यारेलाल मौर्य अपने पुत्रों विनय उर्फ़ रिंकू, मिठाई लाल, कैलाश, चिरंजीवी, चंद्रिका और कई अन्य दबंगों के साथ मिलकर इस चकरोड को ट्रैक्टर से उखाड़ने लगे। जब दलित वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया, तो दबंगों ने उन पर लाठी-डंडों और फावड़ों से जानलेवा हमला कर दिया। पीड़ितों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया एवं ट्रैक्टर को दलितों के ऊपर चढ़ाने की की गई कोशिश।
जातिसूचक गालियाँ, महिलाओं और बच्चों पर भी हमला
गुलाब चंद्र के अनुसार, प्यारेलाल मौर्य और उनके भाइयों ने दलितों को “चमार सियार” कहकर भद्दी-भद्दी गालियाँ दीं। हमले के दौरान महिलाओं के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया और बच्चों पर भी जानलेवा हमला किया गया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई है।
विधायक के नाम का दुरुपयोग और पुलिस की निष्क्रियता
घटना के बाद, दलित परिवार ने स्थानीय थाने में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, बल्कि मामले को टाल-मटोल किया जा रहा है। पीड़ितों का आरोप है कि इस मामले में एक सम्मानित विधायक रमाशंकर पटेल का भी नाम सामने आ रहा है। घटनास्थल पर प्यारेलाल मौर्य और उनके साथी बार-बार विधायक का नाम ले रहे थे और धमकी दे रहे थे कि “विधायक जी हमारे साथ हैं, उनकी सरकार है, मेरा कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता।”
दलित समाज का कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे सभी एडीजी कार्यालय वाराणसी जाकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। यह घटना प्रदेश में कानून व्यवस्था और दलितों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।