
एक बार फिर ग्राम पंचायत चुनाव की आ गई बारी है।
चोर चण्डाल उचक्के अच्छे बुरे सभी के लड़ने की तैयारी है।
जो सरकारी गल्ले पर ही जी रहे हैं।
वही दौड़ दौड़ कर सभी के साथ पी रहे हैं।
अपना खुद का वोट ही नहीं है।
सैकड़े वोटों के ठीकेदार बन रहे हैं।।
जिस दिन जिसके साथ खाया।
उस दिन उसी को बम्पर वोट से जिताया।।
चुनाव लड़ने वाले को वो मूर्ख समझ रहे हैं।
यहाँ कुछ और वहाँ कुछ और बक रहे हैं।।
आज नहीं तो कल वोट गिना जायेगा।
जब पता चल जाएगा तो मार के भगायेगा।।
तब न तुम चाटुकार बन पाओगे।
तब तुम न यहाँ के न वहाँ के ही रह पाओगे।।
इस लिए सभी चाटुकार अब अपने में विचारो।
किसी को न जिताओ केवल अपने को सुधारो।।
दारू मुर्गा छोड़कर केवल चाटुकारिता अपनाओगे।
तो ऐसे गुण वालों को ये नहीं तो वो अवश्य बुलायेगा।।
लड़ने वाले भी ऐसे चाटुकारों से सावधान हो जाओ।
क्योंकि इनके पास वोट नहीं होते यही समझ जाओ।।