
खुलासा: आस्था के नाम पर छल का भयावह खेल असली मास्टर माइंड यादव जी नही नवबुद्ध जाटव जी है
सावधान! जो आप सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, वो सच्चाई का सिर्फ़ एक चेहरा है। असल कहानी कहीं ज़्यादा डरावनी और चौंकाने वाली है। इटावा के दादरपुर गांव में हुआ एक ऐसा खुलासा, जिसने आस्था, विश्वास और धर्म के नाम पर चल रहे फरेब के काले कारनामे को उजागर कर दिया। यह कहानी नकली पहचान, झूठे ज्ञान और पिटाई से ज़्यादा भयानक है—यह विश्वास तोड़ने की साज़िश है।
कहानी शुरू होती है एक छलावे से…
इटावा के अच्छलदा-बकेवर क्षेत्र में दो शातिर दिमाग़—मुकुट मणि जाटव और संत राम यादव—नकली नामों के साथ एक खतरनाक खेल खेलने उतरे। मुकुट मणि, जो पहले नवबौद्ध के रूप में बुद्ध कथा सुनाया करते थे, ने देखा कि बाज़ार में उनकी कथा की मांग नहीं। फिर क्या? भगवा चोला ओढ़कर, संस्कृत के टूटे-फूटे श्लोकों के साथ, वे बन गए “मुकुट मणि अग्निहोत्री”—एक नकली ब्राह्मण कथावाचक। दूसरी ओर, संत राम यादव, जो पहले कई धंधों में नाकाम रहे, ने भी नया चेहरा अपनाया और बन गए “संत राम तिवारी”।
साज़िश का जाल
दोनों ने मिलकर फर्ज़ी आधार कार्ड बनवाए, नकली पर्चे छपवाए, और ब्राह्मण