
एक पत्रकार की कलम से
वाराणसी: पशुओं को शहर से बाहर किया गया घर पकड़ अभियान के तहत कई दर्जन पशु गौशाला भेजे गए लेकिन वहां देखरेख रख रखाव के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति हो रहा है ! जहां प्रदेश सरकार गांव सुरक्षा को लेकर चिंतित और कड़े कदम उठा रही है करोड़ रुपए लागत से उनकी सुरक्षा और देखरेख के लिए कर्मचारियों की तैनाती कर व्यवस्था सुनिश्चित करने में जुटी है वही तैनात कर्मचारी व अधिकारी सिर्फ और सिर्फ अपनी व्यवस्था से सरकार द्वारा उठाए गए कदम का मजाक उड़ा रहे हैं और कोई भी व्यवस्था चाहे खाने-पीने या देखरेख की हो सुनियोजित तरीके से गौशाला में संचालित नहीं हो रही है ! जिसकी लगातार शिकायत मिलती रहती है फोन करने के बाद अधिकारी सही मुंह जवाब नहीं देते और तो और ढेर सारी अपनी मजबूरी और कमियां दिलाने लगते हैं !
क्या पशुओं को सिर्फ वसूली के लिए पकड़ा जाता है फिर शुल्क लेकर छोड़ जाता है
स्थानीय नेता कोई शुद्ध बुद्ध नहीं लेते नहीं बड़े अधिकारी सिर्फ वहां कार्य कर्मचारियों और गो पालक जिनकी गाय पकड़ी जाती है सिर्फ उन्हीं का आना-जाना होता है ज्यादातर नगर निगम की पशु पकड़ने की वाहन अलग-अलग क्षेत्र में दौड़ते नजर आती है और पकड़ कर ले जाने के बाद वसूली कर पशुओं को छोड़ दिया जाता है फिर इसका क्या मतलब यदि आप पकड़ कर ले जा रहे हैं फिर पैसे वसूल कर छोड़ दे रहे हैं तो दोबारा पकड़ने का क्या मतलब आज तक समझ नहीं आया !
योगी जी आप चाहे जितने पैसे भ्रष्टाचारीयों को दे दीजिए ना उनकी नियत सुधर रही ना इनकी कार्य शैली गाड़ी लेकर वाराणसी के मोहल्ले मोहल्ले घूमते हैं और गाय पकड़ कर भोजूवीर गौशाला ले आते हैं छोड़ने के नाम नाम पर ₹1200 प्रति गाय शुल्क लेते हैं ! जब कोई छुड़ाने आता है तो उसके खिलाने पिलाने व अतिरिक्त खर्च वहन जोड़कर गौ पलकों का दोहन किया जाता है ! यही नहीं इतनी बुरी स्थिति गौशाला में कहीं नहीं होगी करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद यदि यह हाल है तो पैसा पानी में जा रहा है ! सूत्र बताते हैं कि जहां पकड़ना चाहिए वहां जाते भी नहीं है वहां से महीने की वसूली करते हैं ! यदि औचक निरीक्षण आप द्वारा किसी भी संस्थान में बिना अधिकारी को बिना संज्ञान लिए किया जाए तो आपकी हृदय विचलित हो जाएगा वर्तमान की गौ सेवा देखकर और इतने बड़े प्रोजेक्ट का पलीता लगाने के लिए यह लोग सड़कों पर सिर्फ दौड़ लगा रहे हैं ! कृष्णा पंडित !