
उरई (जालौन )
शताब्दी बस स्टैंड पर हुई सवारी के साथ मारपीट का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद आम जनता में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है — शताब्दी संचालकों और उनके दलालों की दबंगई ने यात्रियों को असुरक्षित बना दिया है।
स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अब खुलकर आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। बस स्टैंड पर तैनात अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्या यह सब मिलीभगत का नतीजा है? क्या प्रशासन की चुप्पी किसी “साठगांठ” की ओर इशारा कर रही है?
बस यात्रियों का बयान:
“हम टिकट लेकर समय से खड़े रहते हैं, लेकिन सीट नहीं मिलती। विरोध करो तो बदतमीजी और मारपीट होती है। यहाँ कानून का कोई डर नहीं है।”
शहरवासी पूछ रहे हैं:
आखिर दलालों को किसकी शह पर चलने दिया जा रहा है?
यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
बस स्टैंड पर हो रही अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन है?
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, AIMIM और कई सामाजिक संगठन अब इस मुद्दे को लेकर प्रशासन से सीधी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्यवाही नहीं हुई, तो जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
प्रशासन की चुप्पी ने जनता को मजबूर कर दिया है आवाज़ उठाने पर।
अब यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की साख और जवाबदेही का मामला बन चुका है।
उरई की जनता जानना चाहती है — क्या इस शहर में आम आदमी की कोई सुनवाई है?