
माता दिवस पर विषेश उल्लेख पढ़ कर विचार अवश्य करें कि आज का विकासवाद समाज को कहाँ ले जा रहा है।और अगर हम आप भी वृद्धावस्था तक जीवित रहेंगे तो आप पर भी ये दिन आ सकता है।
पाश्चात्य संस्कृति सनातन में घर कर गयी है कि माता पिता दिवस वो लोग मनाते हैं जिनके माता पिता आश्रमों में रहते हैं हम तो रोज सुबह शाम उनके आशिर्वाद प्राप्त करते हैं उनकी डाट सहते हैं उनकी सेवा करते हैं ऐसे में सनातन में प्रत्येक दिन माता पिता दिवस है और अगर इतना प्यार माता पिता के प्रति शोशलमीडिया पर छलक रहा है तो फिर वृद्धाश्रम, विधवाश्रम एवं अनाथाश्रमों में किनके माता पिता हैं।
अगर आप सभी ने माता पिता की सेवा पूरी तरह से कर दिया तो आप सभी को किसी अन्य तीर्थ स्थल जाने की आवश्यकता नहीं है अन्यथा पूरी दुनिया ढूंढ लो कहीं भी शान्ति नहीं मिलेगी। आज की तिथि से ही जीतने लोगों की माता पिता जिन्दा है वो संकल्प लें कि अपनी क्षमतानुसार अपने माता पिता को कोई कष्ट नहीं होने देंगे यही सच्चाई में मातृ दिवस है।
आज अधिकांशतः माता पिता एकाकी जीवन में रोटी के लिए तरस रहे हैं ये घटना हर गांव हर जाति हर पुरवे की हो रही है।इस पर सभी ध्यान दें।शोशलमीडिया पर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।सभी माताओं की चरण वन्दना करता है