
जिले का पिछड़ापन और खिलाड़ियों के लिए संसाधनों की कमी,जिले के कई एथलीट ने एथलेटिक्स में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया
एटा = कई मायनों में जिले का पिछड़ापन और खिलाड़ियों के लिए संसाधनों की कमी यहां अरसे से रही है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कमी नहीं फिर भी उन्हें तलाशने तथा तराशने को प्रयास औपचारिक ही रहे हैं। खासियत यह रही है कि विपरीत परिस्थितियों और गरीबी के हालातों को भी मात देकर जिले के कई एथलीट ने एथलेटिक्स में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया। साबित कर दिखाया कि प्रतिभा सिर्फ संसाधनों के लिए मोहताज नहीं होती। एथलेटिक्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रहे जैथरा क्षेत्र के ग्राम भलौल निवासी पुष्पेंद्र सिंह ने खेल जीवन की शुरुआत नीम के बल्ले से की। गांव में सुविधा नहीं थी फिर भी जैवलिन थ्रो में वह देश के उभरते हुए सितारे बन गए। 2023 में एशियाई पेरा गेम्स में देश के लिए कांस्य पदक जोता। वहीं 2024 में खेलो इंडिया नेशनल गेम्स तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। जिले में सुविधा नहीं मिली, लेकिन हरियाणा के साथियों की मदद तथा अपनी लगन मेहनत से जिले का गौरव बढ़ाया है। जैथरा के मूल निवासी तथा कानपुर में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर पद से पिछले साल रिटायर हुए नीरज शर्मा ने पिछले 10 सालों में सिविल सर्विसेज की राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में आधा दर्जन गोल्ड मेडल सहित 11 मेडल पाकार साबित किया कि यह जनपद एथलीट की खान है। इसी क्रम में एथलेटिक्स के अन्य चमकते सितारों की बात की जाए तो जिला मुख्यालय के समीपवर्ती गांव शिवसिंहपुर की रंजना राजपूत ने पिछले दो सालों में सभी को आश्चर्यचकित किया है। पिता ने रुचि को देखते हुए अपने तीन बीघा जमीन बेचकर संसाधन मुहैया कराए तो बेटी ने भी जहां नेशनल स्कूल गेम्स में राष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण पदक पाकर शानदार शुरुआत की। वहीं 2023 और 24 में क्रमशः आल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम में 5000 मीटर दौड़ में पहले कांस्य से तथा फिर गोल्ड मेडल जीत कर धाक जमाई। 2025 की शुरुआत में लखनऊ में 10000 मीटर की मैराथन दौड़ में उन्होंने देशभर के खिलाड़ियों के मध्य प्रथम स्थान पाकर गोल्ड मेडल ही नहीं जीता बल्कि प्रदेश के इस छोटे से जिले में एथलेटिक्स के इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराया है। इसी गांव की आरती कुशवाह एथलेटिक्स में ऐसी खिलाड़ी रही हैं जिन्होंने गरीबी को दरकिनार करते हुए 2008 से सफलता के पायदान चढ़ना शुरू किया था। पीटी ऊषा की प्रशंसक रही आरती ने लंबी कूद तथा ट्रिपल जंप को अपना करियर मानकर 2013 में स्पोर्ट्स कोटे से केंद्रीय रिजर्व पुलिस में भर्ती हुई। यूं कहा जाए कि एथलेटिक्स में सफलताओं का उदय आरती की कड़ी मेहनत और लगन से शुरू हुआ जोकि अब तक जारी है। नौकरी के बाद पोलवार्ड में भी नए कीर्तिमान बना रही हैं। 2022 में अलीगंज क्षेत्र के गांव चंदनपुर की बेटी दीक्षा दीक्षित ने भी विषम परिस्थितियों में विनाश संसाधनों के कड़ी मेहनत के जरिए युवा कल्याण विभाग की नेशनल प्रतियोगिता तक पहुंचकर एथलेटिक्स में जैवलिन थ्रो के जरिए खुद को साबित करके दिखाया। लगातार कई बेटियां और युवक भी एथलीट में राष्ट्र व प्रदेश स्तर पर सफलता का ताज पहन चुके हैं। अब गरीबी और संसाधनों की कमी को नवोदित खिलाड़ी लगातार मात दे रहे हैं।